उन्नाव। फर्जी मनरेगा कार्यों का सत्यापन कर लाखों का हेरफेर करने वाले ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अवर अभियंता को निलंबित कर दिया गया है। सिकंदरपुर सरोसी विकास खंड मेें मनरेगा के तहत किए गए सात विकास कार्यों में 21 लाख रुपये की हेराफेरी जांच टीम ने पाई थी। टीम ने बीडीओ, ग्राम विकास अधिकारी और अवर अभियंता के हेराफेरी में लिप्त होने की रिपोर्ट सीडीओ को दी थी। इस मामले में अवर अभियंता तो निलंबित कर दिया गया लेकिन बीडीओ और ग्राम विकास अधिकारी के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
वित्तीय वर्ष 2011-12 में सिकंदरपुर सरोसी ब्लाक के दस गांवों में मनरेगा के तहत विकास कार्य कराए गए थे। यह सभी कार्य तत्कालीन बीडीओ नरेंद्र देव द्विवेदी, नीरज कुमार श्रीवास्तव, ग्राम विकास अधिकारी जंग बहादुर के निर्देशन में हुए थे। ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अवर अभियंता संजय कुमार दिवाकर ने इन विकास कार्यों की मेजरमेंट बुक तैयार की थी। ग्रामीणों और निवर्तमान विधायक दीपक कुमार ने विकास कार्यों में हेराफेरी की शिकायत तत्कालीन सीडीओ सुधीर कुमार दीक्षित से की थी। इस पर सीडीओ ने जिला युवा कल्याण अधिकारी, सहायक अभियंता डीआरडीए, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी डीआरडीए और डीआरडीए परियोजना निदेशक की जांच टीम गठित की थी। टीम ने जांच में पाया था कि गंगौली गांव से भवानीखेड़ा खड़ंजा मार्ग निर्माण के नाम पर 23 लाख 3 हजार 162 रुपया अधिकारियों ने आपस में बंदरबांट कर लिया। टीम ने पाया कि कई विकास कार्य कराए जाने से पहले ही उसका पैसा आहरित कर लिया गया। कई विकास कार्य कराए ही नहीं गए जबकि उनका पैसा आहरित किया गया। अवर अभियंता संजय कुमार दिवाकर ने भी कागजों पर किए गए विकास कार्यों का मापन कागजों पर ही कर दिया था। इन विकास कार्यों में कुल 21 लाख 45 हजार 676 रूपये का दुरुपयोग किए जाने की रिपोर्ट जांच टीम ने सीडीओ को सौंपी थी। जांच टीम ने बीडीओ, कार्य प्रभारी और अवर अभियंता द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन न कर मनरेगा की धनराशि का दुुरुपयोग करने की बात कही थी। रिपोर्ट के आधार पर निदेशक एवं मुख्य अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा स्थापना ने जेई संजय कुमार दिवाकर को निलंबित कर मुख्यालय लखनऊ से संबद्ध करने के आदेश किए हैं। सूत्रों की मानें तो घोटाले की रकम की तीनाें अधिकारियों से बराबर बराबर रिकवरी की जाएगी। अधिशासी अभियंता एसएचए रिजवी ने बताया कि संजय दिवाकर को निलंबन का आदेश सौंप कर कार्यमुक्त कर दिया गया है। प्रभारी जिलाधिकारी विवेक का फोन स्विच आफ था।