उरई(जालौन)/महोबा। बुंदेलखंड में भूजल स्तर तेजी से नीचे खिसक रहा है। यहां के 13 ब्लाक डार्कजोन घोषित किए गए हैं। इनमें जनपद जालौन के महेबा, कोंच कदौरा, बांदा में तिंदवारी, चित्रकूट में कर्वी व रामनगर, झांसी में मऊरानीपुर, बंगरा, बबीना, बड़ागांव, चिरगांव, महोबा में जैतपुर, पनवाड़ी, कबरई के ब्लाक शामिल हैं। इन ब्लाकों में नि:शुल्क बोरिंग योजना, नलकूप योजना, निजी नलकूपाें और निजी बोरिंग को प्रतिबंधित कर दिया गया र्है। है। बुंदेलखंड में पानी की गंभीर स्थिति को देखते हुए शासन ने भू जलस्तर को बढ़ाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग को प्रत्येक स्तर पर गंभीरता से बढ़ावा दिया जाए।
बूंद - बूंद पानी के लिए तरस रहे बुंदेलखंड के जिलों के लिए भारत सरकार की भगूर्भ जलसंस्थान की आंकलन समिति का ताजा सर्वे चिंता में डालने वाला है। इस सर्वे के मुताबिक बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुुर व जालौन में भूगर्भ जल तेजी से कम होता जा रहा है। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने उक्त जिलों में पानी की बचत के सामूहिक तरीके अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने लघु सिंचाई विभाग को क्रिटिकल घोषित ब्लाकों में बोरिंग रोक देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा संबंधित ब्लाकों में जलस्तर को व्यवस्थित भू जल विकास प्रबंधन, वर्षा जलसंचयन व भूजल रिचार्जिंग से संबंधित कार्यों को विशेष प्राथमिकता पर रखा जाए।
सर्वे रिपोर्ट में महोबा जिले के पनवाड़ी और जैतपुर ब्लाक में 95 प्रतिशत से ज्यादा पानी निकला पाया गया। वहीं विकासखंड कबरई को भी खतरे के निशान पर बताया। सिर्फ विकासखंड चरखारी को व्हाइट माना गया है। यदि पानी की रिचार्जिंग की व्यवस्था नहीं हुई तो धीरे-धीरे यहां का जलस्तर मानक से नीचे खिसक जाएगा।
उधर बुंदेलखंड में लगातार गिरते भू जलस्तर के पीछे मैंथा आयल की खेती में उपयोग होने वाले जल को भी प्रमुख माना जा रहा है। जालौन के ब्लाकों में सर्वाधिक मैंथा की खेती हो रही है। भूगर्भ जल प्रबंधन के लिए वैसे तो भूमि एवं जलसंसाधन परती भूमि विकास योजना में बुंदेलखंड पैकेज से पूरे बुंदेलखंड मेें 1 हजार दस करोड़ रुपए स्वीकृत हैं। इस योजना को वर्ष 2012 में पूरा होना है, लेकिन काम की धीमी रफ्तार से योजना अगले छह-सात महीने में पूरी होने की उम्मीद नहीं है।
100 प्रतिशत से ज्यादा पानी निकलने पर डार्क जोन घोषित हो जाता है। जमीन के अंदर पानी की मात्रा काफी कम हो जाने से जमीन भी फटने लगती है और पानी काफी नीचे खिसक जाता है। जमीन के अंदर बोरिंग के बाद भी थोड़ा बहुत पानी निकलने पर वह एरिया डार्क जोन घोषित होता है।
भूमि विकास एवं जल संसाधन द्वारा मेड़बंदी के बेहतर काम होने चाहिए। कृषि विभाग द्वारा कंटूर बंध का काम सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। इससे वाटर रिचार्जिंग नहीं हो पा रहा है। साल्व कंजर्वेशन का कार्य उद्देश्य परक नहीं हो रहा है। जिससे रिचार्जिंग की समस्या बढ़ गई है।