उरई (जालौन)। बड़े मामले नहीं छोटे-छोटे मामलों में भी दावा, पेशी, सुनवाई और उसके बाद फैसला। देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार इंसाफ पाने के लिए इस कानूनी प्रक्रिया का पालन करना ही पड़ता है। हालांकि इस चक्कर में इतनी ज्यादा देर हो जाती है कि वादकारी के लिए इंसाफ की कोई अहमियत नहीं रह जाती है। लेकिन सोमवार को मेगा लोक अदालत में फौजदारी के 335 मुकदमों का झटपट सुनवाई और चटपट फैसला हुआ। उससे तमाम लोगों को राहत मिली।
सोमवार को दीवानी न्यायालय में जनपद न्यायाधीश बृजेशचंद्र सक्सेना की अध्यक्षता में वृहद लोक अदालत में कुल 335 प्रकरणों का निस्तारण हुआ। फौजदारी के विभिन्न प्रकरणों में 70,320 रुपये अर्थदंड राजकीय कोष में जमा कराया गया। वहीं मोटर वाहन दुर्घटना के दो वादों में पक्षकारों के मध्य सुलह कराकर पीड़ित पक्षकारों को 1,38,500 रुपए क्षतिपूर्ति बीमा कंपनी से दिलाई गई। इस लोक अदालत से लगभग 502 व्यक्तियों को लाभ मिला। विभिन्न प्रकृति के कुल 11 प्रकरणों का निस्तारण आपसी सुलह से किया। जबकि 6 पारिवारिक विवादों का निपटारा किया गया। वहीं मोटर वाहन के दावे में पीड़ित यात्रीगण को 1,31,500 रुपए प्रतिकर धनराशि दिलाई गई। इसके अतिरिक्त 03 उत्तराधिकार अधिनियम और एक खफीफा वाद भी निस्तारित किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव इफराक अहमद ने बताया कि विशेष न्यायाधीश मुक्तेश्वर प्रसाद ने चार और विशेष जज बिन आसिम ने एक मोटर वाहन दावा समेत दो प्रकरणों को निस्तारित किया। अपर जिलाजज चतुर्थ नीरज कुमार ने चार उत्तराधिकार अधिनियम, अपर जिला जज मुकेश सिंघल और सुनील कुमार मिश्रा ने दो दो प्रकरण निस्तारित किए। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेकानंदशरण त्रिपाठी ने 89 फौजदारी प्रकरणों में 48070 रुपए जुर्माना अधिरोपित किया ।