{"_id":"78098","slug":"Jalaun-78098-39","type":"story","status":"publish","title_hn":"लापरवाही के आलम में जन सुविधा बेमानी ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
उरई (जालौन)। नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में छह माह पूर्व बनाए गए जन सुविधा केंद्र प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो रहे है। शिकायतों पर ध्यान न दिये जाने की वजह से इन केंद्रों पर शिकायत दर्ज कराने से भी लोग परहेज करने लगे है।
बीते वर्ष अक्तूबर माह में तत्कालीन मंडलायुक्त सुरजीत ठाकुर ने जन सुविधा केंद्र का शुभारंभ किया था। इस केंद्र में अधिकारियों को रोस्टर के हिसाब से तैनात किया गया था। इसके अलावा दो कंप्यूटर आपरेटर भी लगाए गए । यह आपरेटर आने वाली शिकायतों को कंप्यूटर में फीड करके संबंधित विभागों के अधिकारियों तक पहुंचाते थे। उस दौरान संबंधित शिकायत पर विभाग के अधिकारी को कार्रवाई करके उसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजनी पड़ती थी। विभागीय कार्रवाई पर शिकायतकर्ता से फीड बैक लिया जाता था। उसके संतुष्ट न होने पर दोबारा से जांच कराई जाती थी। इस वजह से महज सात में जन सुविधा केंद्र में10,722 शिकायतें दर्ज हुई और 90 प्रतिशत शिकायतों का निस्तारण हुआ। लेकिन इसके विपरीत बीते एक माह में अफसरों की लापरवही से केंद्र में 497 शिकायतों में 90 फीसदी का निस्तारण नहीं हुआ। वैसे यहां आने वाली शिकायतों के निपटारे को समय सीमा भी तय है। तीन श्रेणी में बंटी शिकायतों के निष्तारण की समय सीमा एक दिन से लेकर एक माह तक है। लेकिन मौजूदा हाल में समय सीमा की बात करना बेमानी है। हालांकि अभी भी यहां पर रोजाना 20 से 50 तक शिकायतें आ रही है, बावजूद इसका निष्तारण नहीं हो रहा है। इससे जनपद के हजारों शिकायतकर्ता अब परेशानी का अनुभव कर रहे हैं। जन सुविधा केंद्र के प्रबंधक रोहित कुमार का कहना है कि पूर्व जिलाधिकारी राजशेखर के कार्यकाल में डांट के डर से विभिन्न विभागों के अधिकारी तय समय में शिकायतों का निस्तारण करते थे। लेकिन अब इन शिकायतों के निपटाने में लापरवाही हो रही है।
जन सुविधा केंद्र के नोडल अधिकारी कृष्ण मोहन बड़ी मायूसी भरे अंदाज में कहते हैं कि पहले अधिकारी समय से पहले जन सुविधा केंद्र में पहुंच जाते थे। लेकिन वे अक्सर देरी से पहुंचते हैं। इसी तरह विभिन्न विभागों के अधिकारियों को नर्धारित समय पर शिकायतों का निस्तारण करके डीएम को रिपोर्ट भेजनी होती थी। जबकि अब 90 प्रतिशत से अधिक विभिन्न विभागों के अधिकारी शिकायतों के निस्तारण पर लापरवाही बरत रहे हैं।
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