उरई (जालौन)। प्रसिद्ध कवयित्री माया सिंह के जन्म दिवस पर काव्य गोष्ठी हुई। इस मौके पर कई साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया।
बुंदेली भाषा एवं साहित्य को समर्पित अखिल भारतीय बुंदेलखंड साहित्य एवं संस्कृति परिषद भोपाल की जिला इकाई की ओर से केएस कान्वेंट स्कूल के सभागार में कार्यक्रम हुआ। पहले सत्र में हुई मासिक गोष्ठी की अध्यक्षता युगकवि डा.रामस्वरुप खरे ने की। इसके मुख्य अतिथि अधिवक्ता एवं कवि यज्ञदत्त त्रिपाठी थे। दोनों ने मां सरस्वती का पूजन और दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। साहित्य मंत्री डा.श्रीमती माया सिंह ने पंडित यज्ञदत्त त्रिपाठी, युग कवि डा.रामस्वरूप खरे, डा.इंद्रपाल सिंह परिहार अभय तथा सुरेशचंद्र त्रिपाठी को अंगवस्त्र व शाल उढ़ाई। श्रीफल के साथ धनराशि समर्पित की। डा. सीता खरे एवं केएस कान्वेंट स्कूल के प्रबंधक डा.ब्रह्मानंद खरे ने श्रीमती मायासिंह के जन्मदिन पर उनसे केक कटवाया और बधाई दी। डा. रसूल अहमद सागर को संस्था के अध्यक्ष डा.रामस्वरुप खरे ने बुंदेलीरत्न के सम्मान से नवाजा।
दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी हुई जिसमें सुरेशचंद्र त्रिपाठी ने सरस्वती वंदना करते हुए बुंदेली रचना पढ़ी। सिद्धार्थ त्रिपाठी ने पढ़ा- बनो है दहेज प्रथा कानून तथा श्री ओम नारायण गेड़ा अनपढ़ ने- ओ भगवान धरती पर इंसान बनकर आओ, रचना पढ़ी। देवीदीन दयालु, प्रसिद्ध शायर रसूल अहमद सागर, प्रधानाचार्य श्रीमती सीता खरे और डा. श्रीमती निर्मला शर्मा ने भी सुंदर रचनाएं प्रस्तुत कीं। श्रीमती शांति देवी कनौजिया ने मायासिंह के जन्म दिन पर बधाई गीत प्रस्तुत किया। डा.मायासिंह ने आज के हालात पर रचना पढ़ी- कर रही दूषित व्यवस्था, आज वह धारा बदल दो। यज्ञदत्त त्रिपाठी ने श्रीमती माया सिंह को शुभाशीष दिया और काव्य पाठ भी किया। डा. खरे ने भी सुंदर गीत पढ़ा।
संस्था के उपाध्यक्ष डालचंद्र अनुरागी ने बताया कि 24 व 25 मई को भोपाल में वार्षिक अधिवेशन होना है। इस इकाई के आजीवन सदस्य उसमें भाग लें। उनकी ये पंक्तियां खूब सराही गईं- हमें काऊ सैं का लेनें है, गांव भार में जावै, अपने फटे पाल के ऊपर एक और तन जावै। कार्यक्रम का संचालन डा. लखनलाल ने किया। स्कूल के प्रबंधक डा.ब्रह्मानंद खरे ने सभी का आभार जताया।