कोंच (जालौन)। गर्मी का मौसम जानवरों पर भारी पड़ रहा है। तालाब सूखे होने से वे पानी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। कोंच और नदीगांव विकास खंड के तमाम तालाब वर्षा जल पर ही निर्भर हैं, नहरों या नलकूपों से उन्हें भरने की व्यवस्था नहीं हो पाती है।
कभी बिजली का तो कभी पानी का रोना गर्मी के मौसम की सबसे अहम और आम समस्या है। सबसे बड़ी समस्या जानवरों के सामने खड़ी होती है जब उन्हें पीने के लिये पानी नहीं मिलता और मीलों प्यासे भटकते रहते हैं। कोंच एवं नदीगांव विकास खंड में सैकड़ों तालाब हैं। सरकार ने इन तालाबों के संरक्षण के लिये अधिकारियों के पेच पेंच कसे हैं। आदेश दिये हैं कि तालाबों से अवैध कब्जों को हटाया जाये और अगर कहीं पट्टे आदि हैं तो उन्हें भी निरस्त किया जाये। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत तालाबों का रखरखाव और उनका सुंदरीकरण कराना भी सुनिश्चित किया गया है। गरमी के साथ ही सरकार यह भी निर्देश देती है कि इन तालाबों को प्राथमिकता के आधार पर भरवाने की भी व्यवस्था की जाये, इसके लिये बाकायदा नहरों में खैराती पानी भी छोड़ा जाता है। जहां नहरें नहीं हैं वहां सरकारी नलकूपों से तालाब भरवाने की व्यवस्था की जाती है। कोंच और नदीगांव विकास खंड में सैकड़ों तालाब हैं जिनमें तमाम तालाब ऐसे हैं जिन्हें भरने की कोई व्यवस्था नहीं है और वे वर्षा जल पर ही आधारित हैं। शासन-प्रशासन की इन तमाम कवायदों के बाद भी इन तालाबों को भर पाना मुमकिन नहीं है, सो वहां धूल उड़ रही है। हालात इतने खराब हैं कि इन इलाकों में जानवरों को प्यासे भटकना पड़ता है।