उरई (जालौन)। फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए उन्नतशील बीज आखिर किन किसानों को मिल रहे हैं। भारी मात्रा में मिलने वाले प्रदर्शन का बीज किसके हवाले हो रहा है। जिले में बुंदेलखंड पैकेज, आत्मा प्रसार सुधार योजना व एथ्रीपी जैसी प्रमुख योजनाओं में मटर, मसूर, चना, गेहूं के आये 10425 प्रदर्शन किन चहेतों को बांट दिए गए, इस पर अब किसान ही अंगुलियां उठा रहे हैं।
रवि सीजन की फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए शासन से किसानों को उन्नतशील बीज दिए जाते हैं। किसानों को भारी अनुदान पर प्रदर्शन का बीज भी दिया जाता है, लेकिन यह बीज किन किसानों को दिये जाते हैं अब इस पर सवाल उठ रहे हैं। इस संबंध में भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष साहब सिंह चौहान व सपा के जिला उपाध्यक्ष अनुपम मिश्रा ने कहा कि कृषि विभाग में विभिन्न योजनाओं का लाभ वास्तविक किसानों को नहीं मिल रहा है, क्योंकि प्रचार प्रसार का अभाव है। इसके लिए प्रशासन को टीम गठित कर जांच करानी ही चाहिए।
इधर कृषि विभाग में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत किसानों को अनुदान पर बीज, सिंगल सुपर फास्फे ट, जिंक सल्फेट मिलना था, जो नहीं मिला। इसी तरह त्वरित दलहन उत्पादन योजना के तहत अकेले कोंच संभाग में मसूर के 116 हेक्टेयर के लिए प्रदर्शन आया, लेकिन कृषि निवेश के अनुदान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई। ग्राम सेवा में तो दस वर्ष पूर्व मृतक ठाकु रदास व मजबूत सिंह के नाम भी मसूर प्रदर्शन दे दिये गए। इसी तरह डकोर, महेवा, कदौरा, नदीगांव में वर्ष 2010-11 में एथ्रीपी योजना के प्रदर्शन कागजोें में दर्शा कर उनका कृषि निवेश का जमकर बंदरबांट हुआ। इस बात को जांच में संयुक्त कृषि निदेशक जेएम माथुर ने स्वीकारा था। इसके लिए उन्होंने माधौगढ़ के कृषि बीज भंडार के प्रभारी को निलंबित भी किया था।
उप कृषि निदेशक प्रसार सैय्यद बदरे आलम ने कहा कि वर्ष 2010-11 व 2011-12 में जो भी प्रदर्शन आए, उन्हें वितरित किया। जहां गड़बड़ियों की शिकायतें हैं, हम निश्चित तौर पर उनकी जांच कराएंगे।