उरई (जालौन)। टिमरों की ग्रामीण पेयजल योजना एक माह से ठप पड़ी है। कारण- कभी बिजली का न आना तो कभी नलकूप चालक द्वारा चालू न करना। मजबूरी में गांव वालों को गांव के बाहर बने एक कुएं से पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ रही है।
टिमरों में जल संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण पेयजल योजना का लाभ बीते एक महीने से गांव वालों को नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि लोग बीते एक माह से बूंदबूंद पानी को तरस रहे है। बीते माह की 11 तारीख को आयी आंधी में बिजली के तार टूट गये थे। वह पंद्रह दिनों तक यू ही पड़े रहे। जिसकी वजह से पेयजल आपूर्ति ठप्प रही।
जब गांव के बृजेश मिश्रा, पूर्व प्रधान रामपाल सिंह, पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह ने किसी तरह गांव में विद्युत आपूर्ति चालू कराई, लेकिन पेयजल शुरु नहीं करा पाए। इसके पीछे कारण है कि वहां जल संस्थान द्वारा नियुक्त आपरेटर एक माह से वहां पानी की आपूर्ति के लिए नलकूप ही चालू नहीं करता। जिसकी वजह से गांव के लोग बूंदबूंद पानी के लिए तरस रहे है। टिमरों गांव चूंकि इतनी ऊंचाई पर बसा है कि गांव के बाहर तालाब के पास बने दो कुओं से पूरे गांव की महिलाओं को अपने सिर पर गगरी रखकर ऊंचाई पर चढ़ना पड़ रहा है। कई महिलाएं तो गिरकर चुटहिल भी हो चुकी है, लेकिन भीषण गर्मी में पीने के पानी का इंतजाम करना उनकी मजबूरी भी है। गांव के लोगों ने जन सुविधा केंद्र में भी अपनी शिकायत दर्ज कराई है।
उरई (जालौन)। टिमरों की ग्रामीण पेयजल योजना एक माह से ठप पड़ी है। कारण- कभी बिजली का न आना तो कभी नलकूप चालक द्वारा चालू न करना। मजबूरी में गांव वालों को गांव के बाहर बने एक कुएं से पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ रही है।
टिमरों में जल संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण पेयजल योजना का लाभ बीते एक महीने से गांव वालों को नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि लोग बीते एक माह से बूंदबूंद पानी को तरस रहे है। बीते माह की 11 तारीख को आयी आंधी में बिजली के तार टूट गये थे। वह पंद्रह दिनों तक यू ही पड़े रहे। जिसकी वजह से पेयजल आपूर्ति ठप्प रही।
जब गांव के बृजेश मिश्रा, पूर्व प्रधान रामपाल सिंह, पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह ने किसी तरह गांव में विद्युत आपूर्ति चालू कराई, लेकिन पेयजल शुरु नहीं करा पाए। इसके पीछे कारण है कि वहां जल संस्थान द्वारा नियुक्त आपरेटर एक माह से वहां पानी की आपूर्ति के लिए नलकूप ही चालू नहीं करता। जिसकी वजह से गांव के लोग बूंदबूंद पानी के लिए तरस रहे है। टिमरों गांव चूंकि इतनी ऊंचाई पर बसा है कि गांव के बाहर तालाब के पास बने दो कुओं से पूरे गांव की महिलाओं को अपने सिर पर गगरी रखकर ऊंचाई पर चढ़ना पड़ रहा है। कई महिलाएं तो गिरकर चुटहिल भी हो चुकी है, लेकिन भीषण गर्मी में पीने के पानी का इंतजाम करना उनकी मजबूरी भी है। गांव के लोगों ने जन सुविधा केंद्र में भी अपनी शिकायत दर्ज कराई है।