हाथरस। सालों बाद होने जा रही अद्भुत खगोलीय घटना शुक्र पारगमन को लेकर शहरवासियों और विज्ञान में रुचि रखने वालों में खासी उत्सुकता है। हर कोई इस अद्भुत नजारे को अपनी आंखों से देखने को उतावला है। वह अपनी आंखों से देखना चाहते हैं कि आखिर सूर्य के सामने आकर शुक्र की स्थिति कैसी होती है। ला विज्ञान क्लब ने इस खगोलीय घटना को दिखाने के लिए खास इंतजाम किया है। विज्ञान क्लब द्वारा 6 जून की सुबह सूर्योदय से शुरू होकर 10 बजकर 22 मिनट तक होने वाली इस घटना को विभिन्न उपकरणों के जरिए दिखाया जाएगा। लोग बागला कॉलेज के मैदान में पहुंचकर यह नजारा देख सकेंगे। यह दुर्लभ खगोलीय घटना सुबह 3 बजकर 39 मिनट 44 सैकेंड से 10 बजकर 22 मिनट और 8 सैकेंड तक दिखाई देगी, लेकिन भारत वर्ष में सूर्योदय से लेकर 10 बजकर 22 मिनट 8 सैकेंड तक ही देखी जा सकेगी। पूरी एक सदी बाद यह खगोलीय घटना होने जा रही है, जबकि 20वीं सदी में तो एक भी शुक्र पारगमन नहीं हुआ था। खगोलशास्त्रियों के मुताबिक शुक्र पारगमन जोड़ों में होते हैं। एक जोड़े के बीच 8 साल का अंतराल होता है। ला विज्ञान क्लब की समन्वयक सीपी सिंह की मानें तो इस सदी में इससे पहले 8 जून 2004 को शुक्र पारगमन हुआ था और अब 6 जून 2012 को इसी सदी में यह खगोलीय घटना दुहराई जा रही है। इसके बाद यह घटना 105.5 या फिर 121.5 वर्ष बाद दुहराए जाने का अनुमान है, क्योंकि शुक्र, पृथ्वी और सूर्य के बीच से 1.6 साल बाद ही गुजरता है, लेकिन उसे पारगमन का अवसर नहीं मिल पाता, क्योंकि शुक्र और पृथ्वी की कक्षाओं में 3 अंश का झुकाव होता है। शुक्र पारगमन सूर्य की चकती पर एक चलते हुए काले धब्बा जैसा प्रतीत होता है।
हाथरस। सालों बाद होने जा रही अद्भुत खगोलीय घटना शुक्र पारगमन को लेकर शहरवासियों और विज्ञान में रुचि रखने वालों में खासी उत्सुकता है। हर कोई इस अद्भुत नजारे को अपनी आंखों से देखने को उतावला है। वह अपनी आंखों से देखना चाहते हैं कि आखिर सूर्य के सामने आकर शुक्र की स्थिति कैसी होती है। ला विज्ञान क्लब ने इस खगोलीय घटना को दिखाने के लिए खास इंतजाम किया है। विज्ञान क्लब द्वारा 6 जून की सुबह सूर्योदय से शुरू होकर 10 बजकर 22 मिनट तक होने वाली इस घटना को विभिन्न उपकरणों के जरिए दिखाया जाएगा। लोग बागला कॉलेज के मैदान में पहुंचकर यह नजारा देख सकेंगे। यह दुर्लभ खगोलीय घटना सुबह 3 बजकर 39 मिनट 44 सैकेंड से 10 बजकर 22 मिनट और 8 सैकेंड तक दिखाई देगी, लेकिन भारत वर्ष में सूर्योदय से लेकर 10 बजकर 22 मिनट 8 सैकेंड तक ही देखी जा सकेगी। पूरी एक सदी बाद यह खगोलीय घटना होने जा रही है, जबकि 20वीं सदी में तो एक भी शुक्र पारगमन नहीं हुआ था। खगोलशास्त्रियों के मुताबिक शुक्र पारगमन जोड़ों में होते हैं। एक जोड़े के बीच 8 साल का अंतराल होता है। ला विज्ञान क्लब की समन्वयक सीपी सिंह की मानें तो इस सदी में इससे पहले 8 जून 2004 को शुक्र पारगमन हुआ था और अब 6 जून 2012 को इसी सदी में यह खगोलीय घटना दुहराई जा रही है। इसके बाद यह घटना 105.5 या फिर 121.5 वर्ष बाद दुहराए जाने का अनुमान है, क्योंकि शुक्र, पृथ्वी और सूर्य के बीच से 1.6 साल बाद ही गुजरता है, लेकिन उसे पारगमन का अवसर नहीं मिल पाता, क्योंकि शुक्र और पृथ्वी की कक्षाओं में 3 अंश का झुकाव होता है। शुक्र पारगमन सूर्य की चकती पर एक चलते हुए काले धब्बा जैसा प्रतीत होता है।
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पूरे देश में लोग पुलवामा के शहीदों को लोग अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। शनिवार को यूपी के बरेली में सैंकड़ों लोग शहीद चौक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए जमा हुए।
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