हाथरस। आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन यह सोलह आने सच है। एक तरफ सरकारें शहरों का प्रदूषण दूर करने के लिए कानून को सख्त बना रही हैं तो दूसरी अलीगढ़ और हाथरस शहर में ज्यादातर उद्योग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनापत्ति के बगैर ही चल रहे हैं। अलीगढ़ में सिर्फ तीन और हाथरस में एक ही उद्योग को बोर्ड की तरफ से अनापत्ति जारी की गई है। इनके अलावा एनओसी के लिए और कोई भी आवेदन बोर्ड में विचाराधीन नहीं हैं। मतलब साफ है कि इनके अलावा बाकी सभी उद्योग बोर्ड की एनओसी के बगैर चल रहे हैं। बोर्ड ने यह स्वीरोक्ति सूचना का अधिकार में शहर के आरटीआई एक्टिविस्ट गौरव अग्रवाल को दी गई सूचना में की है। जब बोर्ड की एनओसी नहीं होगी तो जाहिर है कि नियमानुसार उन्हें फैक्ट्री चलाने का लाइसेंस भी नहीं मिला होगा। ऐसे में यह औद्योगिक इकाइयां निश्चित रूप से गैर कानूनी रूप से चल रही होंगी। गौरतलब है कि शहर के उद्योगों को प्रदूषण बोर्ड की एनओसी मिलने में सबसे बड़ा रोड़ा उस जमीन का भू उपयोग औद्योगिक न होना है, जिन पर यह उद्योग लगे हुए हैं। लंबे समय से औद्योगिक और व्यापारिक संगठन शहर में आबादी के बीच चल रहीं पुरानी औद्योगिक इकाइयों का भू उपयोग औद्योगिक कराने के लिए मुहिम चला रहे है, जिसे पिछले महीने उद्योग बंधु की बैठक में आधी कामयाबी तब मिली थी, जब तत्कालीन एडीएम ने इस जमीन का भू उपयोग औद्योगिक करने पर सहमति जता दी है और इसके लिए डीएम को प्रस्ताव भिजवाने का निर्देश भी एसडीएम को दिया जा चुका है। हालांकि एक महीने बाद भी इस दिशा में प्रशासन की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी है, जिससे इन उद्योगों को प्रदूषण बोर्ड की एनओसी लेने में मुश्किल आ सकती है। हालांकि प्रशासन इन औद्योगिक इकाइयों को बिना भू उपयोग बदले ही प्रदूषण की एनओसी दिलाने पर सहमत हो चुका है। उसकी पहल पर प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने यहां कैंप भी लगाया था, लेकिन उस समय यहां के उद्यमियों ने ही एनओसी लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसी वजह से इन औद्योगिक इकाइयों के मालिक बोर्ड और दूसरे सरकारी विभागों का उत्पीड़न सहने को मजबूर हैं।