हाथरस। ‘अमर उजाला’ की खबर के बाद भी रेलवे और एफसीआई के कानों पर जूं ही नहीं रेंगी और वही हुआ, जिसका डर था। किला स्टेशन पर पीडीएस के लिए पंजाब से मंगाए गए गेहूं के बोरे बारिश में पडे़ रहे और भीग गए। गरीबों का पेट भरने के लिए आया लाखों की कीमत का गेहूं के सड़ने का खतरा पैदा हो गया है। आने वाले समय में अब इसी गेहूं को शासन की बीपीएल, एपीएल और अंत्योदय योजनाओं में गरीबों एवं आम आदमी को खाने के लिए वितरित किया जाएगा। इस खराब गेहूं को खाकर लोग बीमार भी हो सकते हैं। अब सवाल यह है कि इस नुकसान के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है। उत्तर मध्य रेलवे के हाथरस किला रेलवे स्टेशन पर रेलवे ने अंधा कानून चला रखा है। इस अंधे कानून की सजा अब जिले के आम आदमी को भी भुगतनी पडे़गी। एफसीआई ने विगत दिनों आम जनता के लिए शासन की संचालित सभी खाद्यान्न वितरण योजनाओं के 2,400 एमटी गेहूं पंजाब से मंगवाया। यह गेहूं रेलवे की 58 वैगन की रैक पंजाब से लदकर उत्तर मध्य रेलवे के स्टेशन हाथरस किला पर आकर गत दो दिन पूर्व ही लग गई थी, लेकिन इस स्टेशन की लूप लाइन के ट्रैक पर न तो प्लेटफॉर्म है और नहीं फुटपाथ है, जिससे स्टेशन पर यह गेहूं गंदगी और कीचड़ युक्त प्लेटफॉर्म परिसर में ही उतारा जाता है। यह रैक उतरती, उससे पहले ही बारिश हो गई, जिससे स्टेशन परिसर में पहले ही पानी भर गया। स्टेशन पर कुछ सूखे हिस्से पर रैक लगवाकर जमीन पर बोरों की खुले में पलटी कराई गई तो मंगलवार की रात्रि एवं बुधवार की सुबह हुई बारिश में यह गेहूं के बोरे पडे़-पडे़ भीगते रहे। गेहूं की अनलोडिंग में लापरवाही भी इस कदर थी कि जो गेहूं के बोरे ट्रकों में भी लाद दिए गए थे, उन पर भी तिरपाल नहीं डाला गया था, जिससे यह बोरे भी भीगते हुए गोदामों तक पहुंचाए गए। बारिश में भीगे लाखों की कीमत के इस गेहूं को बचाना अब किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
हाथरस। ‘अमर उजाला’ की खबर के बाद भी रेलवे और एफसीआई के कानों पर जूं ही नहीं रेंगी और वही हुआ, जिसका डर था। किला स्टेशन पर पीडीएस के लिए पंजाब से मंगाए गए गेहूं के बोरे बारिश में पडे़ रहे और भीग गए। गरीबों का पेट भरने के लिए आया लाखों की कीमत का गेहूं के सड़ने का खतरा पैदा हो गया है। आने वाले समय में अब इसी गेहूं को शासन की बीपीएल, एपीएल और अंत्योदय योजनाओं में गरीबों एवं आम आदमी को खाने के लिए वितरित किया जाएगा। इस खराब गेहूं को खाकर लोग बीमार भी हो सकते हैं। अब सवाल यह है कि इस नुकसान के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है। उत्तर मध्य रेलवे के हाथरस किला रेलवे स्टेशन पर रेलवे ने अंधा कानून चला रखा है। इस अंधे कानून की सजा अब जिले के आम आदमी को भी भुगतनी पडे़गी। एफसीआई ने विगत दिनों आम जनता के लिए शासन की संचालित सभी खाद्यान्न वितरण योजनाओं के 2,400 एमटी गेहूं पंजाब से मंगवाया। यह गेहूं रेलवे की 58 वैगन की रैक पंजाब से लदकर उत्तर मध्य रेलवे के स्टेशन हाथरस किला पर आकर गत दो दिन पूर्व ही लग गई थी, लेकिन इस स्टेशन की लूप लाइन के ट्रैक पर न तो प्लेटफॉर्म है और नहीं फुटपाथ है, जिससे स्टेशन पर यह गेहूं गंदगी और कीचड़ युक्त प्लेटफॉर्म परिसर में ही उतारा जाता है। यह रैक उतरती, उससे पहले ही बारिश हो गई, जिससे स्टेशन परिसर में पहले ही पानी भर गया। स्टेशन पर कुछ सूखे हिस्से पर रैक लगवाकर जमीन पर बोरों की खुले में पलटी कराई गई तो मंगलवार की रात्रि एवं बुधवार की सुबह हुई बारिश में यह गेहूं के बोरे पडे़-पडे़ भीगते रहे। गेहूं की अनलोडिंग में लापरवाही भी इस कदर थी कि जो गेहूं के बोरे ट्रकों में भी लाद दिए गए थे, उन पर भी तिरपाल नहीं डाला गया था, जिससे यह बोरे भी भीगते हुए गोदामों तक पहुंचाए गए। बारिश में भीगे लाखों की कीमत के इस गेहूं को बचाना अब किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
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