हरदोई। चाहे तिवारी जी हो या फिर त्रिपाठीजी। पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी से सभी की सांस फूलने लगी है। सभी का कहना है कि अब तो महंगाई के दबाव में जीना ही मुश्किल हो गया है। चाहे घर हो या रसोई में रखी थाली सभी कुछ पहले ही महंगाई की चपेट में आ चुके थे। अब पेट्रोल कीमतों में बढ़ोतरी करके आफिस जाने तक की सवारी तक को महंगा कर दिया गया है।
गुरुवार को शायद ही कोई ऐसी जगह रही हो जहां पर पेट्रोल के मूल्यों में की गई अप्रत्याशित वृद्धि को लेकर रोष न देखा गया हो। सरकारी कार्यालयों में भी ट्रिपों के हिसाब से आने वाले पेट्रोल की खपत में परिवर्तन का आकलन किया जाता रहा। विकास भवन के लिपिक चंद्रा ने कहा कि सारा का सारा बजट अब लड़खड़ा गया है, यदि यह कहें कि अब बजट लंगड़ा ही हो गया है तो गलत न होगा। बजट को इधर का उधर करना पड़ रहा था ऐसे में पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी करके तो उनके आफिस जाने तक की सवारी को महंगा कर दिया गया है। अब तो बाइक नहीं रिक्शे की ही सवारी उपयुक्त होगी।
पशुपालन विभाग के शिवेंद्र का कहना है कि पेट्रोल के दामों में वृद्धि का आकलन करें तो यह महंगाई की इंतहा है। पेट्रोल वृद्धि में अब तो शायद हर वर्ग हांफने लगा है। किराने की दुकान हो या फिर नहाने का सामान। अब तो घर, रसोई की थाली एवं आफिस तक की सवारी सभी कुछ महंगा होता जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर अस्पताल की दवाएं तक महंगी होती जा रही हैं, जिसके बाद रोज कमाने खाने वाले के सामने तो समस्याएं थी ही अब तो नौकरी पेशा लोगों को भी बजट संभाल कर बनाना और उसको खर्च करना होगा।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी से रसोई गैस पर मार पड़ सकती है। क्योंकि जिले में कहीं भी चौपहिया वाहन के लिए एलपीजी की व्यवस्था नहीं है। इसलिए वाहन मालिक रसोई गैस पर ही नजरें लगाए रहते हैं। उधर, महंगाई की मार से त्रस्त लोगों को जहां मौका मिला, उसने केंद्र सरकार के खिलाफ वहीं पर जमकर भड़ास निकाली। आपस में चर्चा कर, मोबाइलों पर संदेश चलाकर और सोशल नेटवर्किंग साइटें इस काम के लिए उपयुक्त नजर आई, जिसमें तरह तरह के टिप्स देकर जिम्मेदारों को जहां आडे़ हाथों लिया गया, वहीं जनता का भी दर्द बयां किया गया।