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आधी आबादी पानी को प्यासी
Hardoi
Updated Sun, 20 May 2012 12:00 PM IST
शाहाबाद (हरदोई)। आजादी के बाद क्षेत्र में विकास के दावे किए गए, पर नगर की 40 हजार की आबादी को पालिका का पानी मुहैया नहीं हो पा रहा है। इनमें तीन पूर्व चेयरमैन के मोहल्ले भी शामिल हैं, पर पेयजल लाइन के लिए किसी ने ध्यान नहीं दिया। एक टंकी 80 हजार आबादी के बीच बनीं हुई है, जिससे उन मोहल्लों को सप्लाई दी जा रही, जहां वर्षों पुरानी लाइनें पड़ी हैं।
आजादी के बाद हर चुनाव में जनता की समस्या निस्तारण को बडे़ बड़े दावे किए गए, पर चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधियों ने कभी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे नगर क्षेत्र के दर्जनों मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पेयजल को लाइन आज तक नहीं पड़ी। इनमें पूर्व चेयरमैन स्व. इशरत अली खां का मोहल्ला गढ़ी, पूर्व चेयरमैन राशिद खां का मोहल्ला दिलावरपुर, पूर्व चेयरमैन आसिफ खां बब्बू का मोहल्ला बलायकोट के अलावा मोहल्ला सुलेमानी, बजरिया, नौशहरा, अख्तियारपुर, इनायतपुर, गजहाखेड़ा, बीबीजई, नई बस्ती, ताजपुरा, कटरा, पक्का बाग, बाजिद खेल समेत कई मोहल्ले शामिल हैं। 40 हजार की आबादी वाले नगर में वर्षों पहले पेयजल लाइन अंडरग्राउंड डाली गई थी, जो जर्जर हो चुकी है।
पालिका की करीब 5 लाख लीटर पानी की एकलौती टंकी से आबादी को पानी देने की कोशिश की जाती है, पर जर्जर लाइन होने से घरों तक कुछ ही देर पानी पहुंचता है, जबकि 80 हजार की आबादी के बीच पेयजल को तीन टंकिया होनी चाहिए, पर एक टंकी ही बनीं है। ईओ विमलापति ने बताया कि दो टंकियों का प्रस्ताव काफी पहले भेजा गया था, पर प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हुआ। लोगों की मानें तो पालिका के नलों से निकलने वाला पानी भी बदबूदार और गंदा होता है। पालिका सूत्रों की मानें तो पानी में क्लोरीन भी यदा कदा ही मिलाई जाती है। उधर, नगर में लगे कई सरकारी हैंडपंप भी अर्से से खराब पड़े हैं। ऐसे में लोगों को पेयजल को खुद के संसाधन जुटाने पड़ रहे हैं, जबकि तालाब और पोखर सूखने से पशु-पक्षी भी पानी के लिए बेचैन हैं।
शाहाबाद (हरदोई)। आजादी के बाद क्षेत्र में विकास के दावे किए गए, पर नगर की 40 हजार की आबादी को पालिका का पानी मुहैया नहीं हो पा रहा है। इनमें तीन पूर्व चेयरमैन के मोहल्ले भी शामिल हैं, पर पेयजल लाइन के लिए किसी ने ध्यान नहीं दिया। एक टंकी 80 हजार आबादी के बीच बनीं हुई है, जिससे उन मोहल्लों को सप्लाई दी जा रही, जहां वर्षों पुरानी लाइनें पड़ी हैं।
आजादी के बाद हर चुनाव में जनता की समस्या निस्तारण को बडे़ बड़े दावे किए गए, पर चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधियों ने कभी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे नगर क्षेत्र के दर्जनों मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पेयजल को लाइन आज तक नहीं पड़ी। इनमें पूर्व चेयरमैन स्व. इशरत अली खां का मोहल्ला गढ़ी, पूर्व चेयरमैन राशिद खां का मोहल्ला दिलावरपुर, पूर्व चेयरमैन आसिफ खां बब्बू का मोहल्ला बलायकोट के अलावा मोहल्ला सुलेमानी, बजरिया, नौशहरा, अख्तियारपुर, इनायतपुर, गजहाखेड़ा, बीबीजई, नई बस्ती, ताजपुरा, कटरा, पक्का बाग, बाजिद खेल समेत कई मोहल्ले शामिल हैं। 40 हजार की आबादी वाले नगर में वर्षों पहले पेयजल लाइन अंडरग्राउंड डाली गई थी, जो जर्जर हो चुकी है।
पालिका की करीब 5 लाख लीटर पानी की एकलौती टंकी से आबादी को पानी देने की कोशिश की जाती है, पर जर्जर लाइन होने से घरों तक कुछ ही देर पानी पहुंचता है, जबकि 80 हजार की आबादी के बीच पेयजल को तीन टंकिया होनी चाहिए, पर एक टंकी ही बनीं है। ईओ विमलापति ने बताया कि दो टंकियों का प्रस्ताव काफी पहले भेजा गया था, पर प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हुआ। लोगों की मानें तो पालिका के नलों से निकलने वाला पानी भी बदबूदार और गंदा होता है। पालिका सूत्रों की मानें तो पानी में क्लोरीन भी यदा कदा ही मिलाई जाती है। उधर, नगर में लगे कई सरकारी हैंडपंप भी अर्से से खराब पड़े हैं। ऐसे में लोगों को पेयजल को खुद के संसाधन जुटाने पड़ रहे हैं, जबकि तालाब और पोखर सूखने से पशु-पक्षी भी पानी के लिए बेचैन हैं।