गौसगंज। अपनी जमीन के सिलसिले में मुंबई से यहां पहुंचे फिल्म लेखक, निर्देशक, निर्माता एवं दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता आरएन शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में फिल्म उद्योग को उपेक्षित रखा गया है जिससे गलत संदेश जा रहा है। उन्होेंने कहा यहां कलाकारों को सम्मान के बजाए उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। 18वीं शताब्दी एवं 1857 की पृष्ठभूमि पर आधारित चर्चित फिल्म ‘मृगतृष्णा’ के निर्माता, निर्देशक आर एन शुक्ला को 1976 मेेें बेहतर फिल्म निर्देशन के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। वह अब तक 25 फिल्में भी तैयार कर चुके है।
जनपद के अतरौली निवासी राजेंद्र नाथ शुक्ला अपनी जमीन के सिलसिले मेें यहां आए और अमर उजाला से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा वह भारतीय फिल्म टेलीविजन संस्थान पुणे के पहले बैंच के छात्र रहे व सिनेमा जगत के 50 वर्ष पूर्ण होेने पर देवानंद से सम्मान प्राप्त कर चुके है। उन्हाेेंने कहा प्रदेश में फिल्म उद्योग को कोई तरजीह नहीं दी जा रही है, यहां कई सरकारें आई और चली गई लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा जो एक चिंतनीय विषय है। उन्होंने कहा कि लालफीता शाही के चलते और अपने वोटों की राजनीति के लिए इस जगत को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार के लिए एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का काम शुरू किया था। फिल्म यूनिट को न सिर्फ कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा बल्कि उन्हेें फिल्म के लिए दिए जाने वाले भुगतान का आधा पैसा दिया गया और लाल फीता शाही के चक्कर में उन पर आरसी जारी कर दी गई जिसका वाद न्यायालय में चल रहा है। उन्होेंने कहा कि उनकी तमन्ना है कि ‘भारत महान क्यों और कैसे’ इसको लेकर वह हरदोई से ही एक फिल्म को रूप देना चाहते है क्यों कि वह चाहते ही जनपद का नाम विश्व पटल पर अंकित हो।