हरदोई। मानसिक तनाव और गुमशुम रहने की प्रवृत्ति दिनोें दिन आत्म हत्या की घटनाओें को बढ़ावा दे रही है। आलम यह है कि करीब दो माह में हुई 115 घटनाओं मेें 40 की मौत हुई जबकि 75 को उपचार के दौरान बचा लिया गया। हैरत की बात तो यह है कि 16 घंटे के अंदर दो युवाओं ने लाइसेंसी असलहों से गोली मारकर जान दे दी। दोंनों ही मामलोें मेें मानसिक तनाव की बात सामने आ रही है। जानकारों का कहना है कि मानसिक तनाव से ग्रसित लोगों को अके ले में नहीं छोड़ना चाहिए। जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक से उनके बारें में सलाह ले।
जिले मेें आत्महत्या की घटनाएं दिनों दिन बढ़ रही है। इन घटनाओं में 18-35 वर्ग के युवा अधिक मिल रहे है। कहीं जहर खाकर तो कहीं पर फांसी लगाकर जान देेने के पीछे मानसिक तनाव का कारण माना जा रहा है। करीब 40 प्रतिशत युवक/युवतियां घरेलू क्लेश के चलते मौत हो गले लगा रही है। इस वर्ष 15 मार्च से 15 मई तक के आंकड़े पर गौर करें तो 115 घटनाएं हुई है। जिनमें जहर खाए 75 युवक/युवतियों को उपचार के दौरान बचा लिया गया। जबकि 40 की मौत हो गई। इनमें फांसी लगाकर दम तोड़ने वालों की संख्या अधिक है।
बीते दिन नगर क्षेत्र में प्रिसिंपल के बेटे समीर ने गोली मारकर जान दे दी तो 16 घंटे बाद बिलग्राम क्षेत्र के अजमत नगर प्रधान के बेटे ललित ने कनपटी पर गोली मार मौत को गले लगा लिया। दोनों ही घटनाएं एक ही आयु वर्ग के युवाओं के साथ घटने से लोग सकते में आ गए। जानकारोें की मानें तो युवाओं में घटती सहनशक्ति भी इसका प्रमुख कारण है। सीएनएन कॉलेज में समाज शास्त्र के प्रोफेसर डा. नरेश चंद्र शुक्ला ने बताया कि आत्य हत्या की घटनाओं में अहमवादी घटनाएं अधिक हो रही है। रिश्तों मेें आई खटास से अहम बढ़ गया है। घर से लेकर बाहर तक अहम टकरा रहा है और वहीं मौत का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव से ग्रसित युवक व युवती को एकांत मेें नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि उनका मन परिवर्तन करें और मनोचिकित्सक से उपचार कराएं।