हरदोई। ट्रेन कोई भी हो। सफर कितना ही लंबा क्यों न हो। आरक्षित सीट पर यदि किसी स्टेशन से यात्री नहीं बैठता है तो टीटीई से सांठगांठ करके उसकी सीट का सौदा करके सफर करना अब संभव नहीं हो पाएगा। रेलवे के नए आरक्षण नियमों के लागू होने के बाद टीटीई की मनमानी से आजिज आ चुके यात्रियों को इससे राहत मिलेगी। अब टीटीई को रिजर्वेशन चार्ट पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही सिंबल भरने होंगे। रेलवे अधिकारियों की माने तो निर्देश यदि कायदे की पटरी पर दौड़े तो वेटिंग पर रहने वाले यात्रियों को इससे सबसे ज्यादा लाभ होगा। यह सुनने में भले ही अजीब लगे कि ट्रेनों की सीटें रेलवे के प्लेटफार्मों से लेकर सफर के दौरान ही बिक जाती है लेकिन सच तो यही है। ट्रेनों में टीटीई से सांठगांठ करने के बाद आरक्षित सीटों पर सफर करना अब आसान नहीं होगा। रेलवे सूत्रों का कहना है अब ट्रेनों में टीटीई के रिजर्वेशन चार्ट में यात्री के आने या न जाने के बारे में साफ लिखना पड़ेगा। अभी तक टीटीई सही या गलत के निशान से ही काम चला लेते थे। आरक्षित सीटों पर यात्री आने के बाद चार्ट पर दर्ज सीट नंबर के सामने सही का निशान लगा दिया जाता था। यात्री के न आने पर उसके आगे क्रास का निशान लगा दिया जाता था। चूंकि रिजर्वेशन चार्ट ट्रेन आने से पांच छह घंटे पहले ही तैयार होता है इसलिए उसमें खेल की हर स्तर पर गुंजाइश रहती है। इसी का फायदा अबत तक टीटीई उठाते थे। यात्रियों के न आने पर उनकी सीटों पर फुटकर यात्रा करने देते थे। लेकिन रेलवे ने 15 मई से नए आरक्षण नियमों को लागू क र दिया है।
अब रिजर्वेशन चार्ट पर यात्री के सफ र करने पर ओ यानी आक्यूपाइड दर्ज करना होगा। इसी तरह न आने पर नान टर्नअप यानी एनटी दर्ज करना होगा। इसी क्रम में ई टिकट के नाम के आगे नो रिफंड यानी एनआरएफ लिखना होगा। वीआईपी सीट के आगे हेड क्वार्टर कोटा एचओ दर्ज किया जाएगा। रेलवे सूत्रों के मुताबिक नए आरक्षण नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए डीआरएम समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी समय-समय पर बराबर निरीक्षण करते रहेंगे।
हरदोई। ट्रेन कोई भी हो। सफर कितना ही लंबा क्यों न हो। आरक्षित सीट पर यदि किसी स्टेशन से यात्री नहीं बैठता है तो टीटीई से सांठगांठ करके उसकी सीट का सौदा करके सफर करना अब संभव नहीं हो पाएगा। रेलवे के नए आरक्षण नियमों के लागू होने के बाद टीटीई की मनमानी से आजिज आ चुके यात्रियों को इससे राहत मिलेगी। अब टीटीई को रिजर्वेशन चार्ट पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही सिंबल भरने होंगे। रेलवे अधिकारियों की माने तो निर्देश यदि कायदे की पटरी पर दौड़े तो वेटिंग पर रहने वाले यात्रियों को इससे सबसे ज्यादा लाभ होगा। यह सुनने में भले ही अजीब लगे कि ट्रेनों की सीटें रेलवे के प्लेटफार्मों से लेकर सफर के दौरान ही बिक जाती है लेकिन सच तो यही है। ट्रेनों में टीटीई से सांठगांठ करने के बाद आरक्षित सीटों पर सफर करना अब आसान नहीं होगा। रेलवे सूत्रों का कहना है अब ट्रेनों में टीटीई के रिजर्वेशन चार्ट में यात्री के आने या न जाने के बारे में साफ लिखना पड़ेगा। अभी तक टीटीई सही या गलत के निशान से ही काम चला लेते थे। आरक्षित सीटों पर यात्री आने के बाद चार्ट पर दर्ज सीट नंबर के सामने सही का निशान लगा दिया जाता था। यात्री के न आने पर उसके आगे क्रास का निशान लगा दिया जाता था। चूंकि रिजर्वेशन चार्ट ट्रेन आने से पांच छह घंटे पहले ही तैयार होता है इसलिए उसमें खेल की हर स्तर पर गुंजाइश रहती है। इसी का फायदा अबत तक टीटीई उठाते थे। यात्रियों के न आने पर उनकी सीटों पर फुटकर यात्रा करने देते थे। लेकिन रेलवे ने 15 मई से नए आरक्षण नियमों को लागू क र दिया है।
अब रिजर्वेशन चार्ट पर यात्री के सफ र करने पर ओ यानी आक्यूपाइड दर्ज करना होगा। इसी तरह न आने पर नान टर्नअप यानी एनटी दर्ज करना होगा। इसी क्रम में ई टिकट के नाम के आगे नो रिफंड यानी एनआरएफ लिखना होगा। वीआईपी सीट के आगे हेड क्वार्टर कोटा एचओ दर्ज किया जाएगा। रेलवे सूत्रों के मुताबिक नए आरक्षण नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए डीआरएम समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी समय-समय पर बराबर निरीक्षण करते रहेंगे।