हरदोई। पल भर की आंधी ने प्रिंसिपल के घर का चिराग बुझा दिया। असेंबली आफ गॉड जूनियर हाईस्कूल शहर का प्रतिष्ठित स्कूल है। वर्षों से स्कूल में रह रहा प्रिंसिपल का भरा पूरा परिवार था, पर न जाने किसकी नजर लगी कि पल भर में परिवार तबाह हो गया।
इकलौते पुत्र की मौत से माता-पिता के साथ बहनें बदहवास सी हो गई हैं। क्रिश्चियन समुदाय के पीसी सैमुअल असेंबली आफ गॉड जूनियर विद्यालय के मैनेजर हैं। संतोष सैमुअल व उनकी पत्नी रंजना सैमुअल स्कूल चला रही हैं। संतोष और रंजना के चार पुत्रियां हैं और कोई पुत्र नहीं था, जिसके लिए न जाने कितने देवस्थानों पर मत्था टेका। काफी मिन्नतों के बाद ईश्वर ने उन्हें पुत्र समीर दिया था। अब उनका भरा पूरा परिवार था। चार पुत्रियों में रोहिना, निकिता, मानवी स्कूल में ही शिक्षण कार्य कर रहीं हैं, जबकि पुत्री तनू और समीर पढ़ाई कर रहा था।
परिवार में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी, पर न जाने परिवार को किसी नजर लगी कि एक पल में परिवार तबाह हो गया। माता-पिता तो बदहवास हैं हीं, वहीं बहनों का बुरा हाल है। किसी तरह परिचित और रिश्तेदार उन्हें संभाल रहे हैं। उधर, समीर ने क्यों जान दी यह चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे उसने यह कदम उठाया। हालांकि समीर पढ़ाई में सही था, पर वह गंभीर था और अपनी समस्या या परेशानी किसी से शेयर नहीं करता था। परिजनों का कहना है कि परीक्षा में पेपरों के बारे में उसने कुछ नहीं बताया था।
हालांकि दोस्तों और अन्य लोगों का कहीं न कहीं कोई पेपर खराब होने से दुखी होकर घटना को अंजाम देने की बात बता रहे हैं। उधर, प्रिंसिपल संतोष सैमुअल ने अभी हाल में ही पिस्टल का लाइसेंस बनवाकर खरीदा था। हालांकि, उन्हें कोई शौक नहीं था, जिसस पिस्टल घर में ही रखी रहती थी और उससे कोई फायर तक नहीं किया गया। पहला फायर समीर ने ही खुद को गोली मार किया था। इस घटना के बाद से प्रिंसिपल बदहवास हैं। उनका कहना था कि उन्हें क्या पता था कि वह अपने हाथों ही पुत्र की मौत का सामान खरीद रहे हैं। घटना के बाद बदहवास प्रिंसिपल को लोग घर ले जाने की कोशिश कर रहे थे।
उनका कहना था कि 22 साल पहले वह अस्पताल में जन्म के बाद पुत्र को लेकर आए थे और अब वही उसके शव को भी लेकर जाएंगे। उनकी हालत देख पत्थर दिल लोगों के आंखें नम हो रहीं थी।