हरदोई। टप्पेबाजों के गिरोह में शामिल सदस्य बैंकों और एटीएम के आसपास शिकार तलाशते हैं, जिसमें शिकार फंसाने वाले दूसरे और घटना को अंजाम देने वाले दूसरे होते हैं। घटना को अंजाम देने के बाद बाइक से नहीं पैदल और साइकिलों से भागते हैं और आसपास के जिलों में भी साइकिलों से ही जाते हैं। पुलिस के हत्थे चढ़े टप्पेबाज राधाकृष्ण ने यह खुलासा करते हुए बताया कि उनके गांव के अधिकांश सदस्य टप्पेबाजी क रते हैं। सुबह घरों से निकल कर बैंकों के आसपास घूमते रहते हैं। वह पासबुक आदि भी रखते हैं जिससे कोई शक भी नहीं करता। जब शिकार फंस जाता है, तो अंदर वाले इशारा करते हैं और बाहर वाले सक्रिय हो जाते हैं। जैसे ही मौका मिलता है घटना को अंजाम दे देते हैं। घटना के बाद पुलिस सक्रिय हो जाती है जिस पर वह तुरंत नहीं भागते, पहले इधर उधर की टोह लेते रहते और बाद में साइकिल या पैदल निकल जाते हैं। राधाकृष्ण ने बताया कि वह रुपयों को मौज मस्ती पर खर्च करते हैं।
बैंक में रुपए जमा करने की बजाय अगर कोई खेत आदि मिल जाता है, तो उसे खरीद लेते हैं। एएसपी राकेश शंकर ने बताया कि बैंकों के आसपास घूमने वालों पर पहले से ही नजर है, सादे कपड़ों में भी पुलिस कर्मी लगाए जाएंगे। सीओ सिटी राजेश कुमार ने बताया कि टप्पेबाजों के खिलाफ पुलिस अभियान चला रही है। उधर, टप्पेबाज एक विशेष जाति से संबंधित होते हैं, जो सूरजीपुर गांव में रहती है। इनका अलग तरह का रहन सहन होता है और उनके समाज में मेहनत की नहीं हाथ की सफाई की कीमत होती है और उसी से रिश्ते पक्के होते हैं। राधाकृष्ण ने बताया कि उनका टोटका होता है कि वह विपरीत संख्याओं में गिरोह बनाकर चलते हैं और घटनाओं को अंजाम देते हैं। किसी भी युवक की शादी उसकी मेहनत की कमाई से नहीं होती है। अगर वह मजदूरी या अपना काम करता है तो उसकी शादी नहीं होगी, जो जितना शातिर होगा उसकी उतनी ही अच्छी शादी होती है। राधाकृष्ण ने बताया कि नवल किशोर शातिर है और उसका रिश्ता पक्का हो गया। उसकी भी शादी होने वाली थी।