हरदोई। उत्तराखंड के ऋषिकेश के सामाजिक कार्यकर्ता राममहेश मिश्र ने कहा कि गंगा को प्रदूषण से मुक्त कराने को जब तक आम लोग सजग नहीं होंगे, तब तक सार्थक परिणाम नहीं आएंगे। गंगा में हर रोज 29 हजार लाख लीटर कचरा गंदा पानी बहाया जा रहा, जिससे गंगा का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने को इस विषय को राष्ट्रीय चिंतन बनाना होगा और वोट की राजनीति करने वाली सरकारों को महत्व समझना होगा। उन्होंने बताया कि जिस तरह से यूरोप के लोगों ने अपने यहां की नदियों को राष्ट्रीय चिंतन का विषय बनाकर प्रदूषण मुक्त कराया, उसी तरह से यहां भी प्रयास करने होंगे। इस ओर जन जागरण के लिए हरदोई में सरोज दीक्षित एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बीड़ा उठाया है। इसकी शुरुआत 31 मई को राजघाट पर गंगा की महाआरती के साथ होगी और गंगा सेवक दलों का गठन करने के साथ ही गंगा के किनारों पर जैविक खेती तथा पौधरोपण कार्य किया जाएगा।
समाजशास्त्री डॉक्टर रामवदन दुबे ने कहा कि उन्होंने गंगा को प्रदूषण से बचाने के क्रम में शवों के दाह संस्कार को जो प्लान बनाया है, उस पर अमल कर किसी हद तक हम प्रदूषण बढ़ने को रोक सकते हैं। जिला संयोजक सरोज दीक्षित ने कहा कि 2525 किमी क्षेत्र में फैली मां गंगा को साफ और स्वच्छ रखने के लिए वे हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर अवस्थी, सुगंध सेवा संस्थान आदि ने पूरा सहयोग करने की बात कही। उधर, मिश्र ने बताया कि उन्होंने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को उत्तराखंड सरकार को गंगा पुलिस स्टेशन एवं पर्यावरण संरक्षक स्टेशन बनाने का प्रस्ताव दिया है।
इन स्टेशनों को गंगा के किनारे कई तटों पर बनाया जाए तथा यह स्टेशन गंगा में कचरा आदि डालने वालों पर अंकुश लगाए। इसके साथ ही गांव- गांव गंगा सेवक मंडलों को गठित करने की योजना है। इस बाबत वे प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर बात करेंगे और गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की मांग करेंगे।