हरदोई। अब दो हाथों को काम देने वाली मनरेगा में जिले के हाकिमों की तो निगरानी रहेगी ही, पर इस बार शासन द्वारा रखे गए मानीटरों की भी गिद्ध जैसी नजरें गरीबों को रोटी देनी वाली इसी योजना पर लगी रहेगी। इसको लेकर शासन ने रणनीति बनाते हुए पूरा खाका खींच लिया है। योजना में अब मनरेगा कार्यों के अनुश्रवण, मूल्यांकन व सत्यापन के लिए जिलों में राज्य गुणवत्ता मानीटरों को भेजा जाएगा।
यही नहीं यह मानीटर यानी एसक्यूएम ग्राम पंचायतों में जाकर कम से कम छह घंटे मौजूद रहकर वहां की स्थिति देखकर एवं मजदूरों से संवाद करने के बाद ही अपनी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करेंगे। बताया गया कि दो खाली हाथों को काम देने एवं काम के बाद उन्हें दाम देने वाली योजना मनरेगा आरोपों के घेरे में न आए और इस पर सवालिया निशान न लगे तो जिले के अधिकारियों की तो इस योजना पर नजरें रहती ही हैं, इस बार से शासन की नजरें भी इस पर रहे तो इसको लेकर पूरी रणनीति तय कर दी गई है। बनी रणनीति में मनरेगा में राज्य गुणवत्ता मानीटर (एसक्यूएम) की तैनाती करने की योजना बनाई गई है। योजना में प्रदेश के 18 मंडलों में 18 एसक्यूएम रखने का निर्णय लिया गया है। शासन की तरफ से उप सचिव गिरजा शंकर त्रिवेदी द्वारा जारी निर्देशों में राज्य गुणवत्ता मानीटर की सेवा शर्तों का भी निर्धारण कर दिया गया है। बताया गया कि एक एसक्यूएम से 20 कार्यों का निरीक्षण करवाया जाएगा। प्रदेश स्तर पर आयुक्त स्तर से इनका चयन होने के बाद इन मानीटरों को किसी भी दशा में गृह जनपद नहीं दिया जाएगा। चक्रानुक्रम में मानीटरों को जनपद आवंटित किए जाएंगे। इसके अलावा जनपद आवंटित होने के बाद जिस ग्राम सभा के निरीक्षण पर जाएंगे और वहां कम से कम छह घंटे रहकर न सिर्फ वहां के ग्रामीणों से संवाद स्थापित करेंगे, बल्कि उनकी शिकायतों को भी प्रमुखता से सुनेंगे। शासन द्वारा लाभार्थी से संवाद करने के बाद ग्रास रूट लेबिल पर योजना का असर अंकित करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। बताया गया कि इनकी सेवाएं अस्थायी होंगे। यदि मानकों के अनुसार यह मानीटर अपना काम नहीं कर पाएंगे, तो उनको उनके पद से हटा दिया जाएगा। बहरहाल इन मानीटरों के जिलों में पहुंचने का ही रास्ता साफ हो जाने के बाद जिले में संबंधित विभाग में भी इसको लेकर हलचल है। आला अधिकारियों की मानें तो इस बाबत संबंधित ब्लाकों तक के अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है।
हरदोई। अब दो हाथों को काम देने वाली मनरेगा में जिले के हाकिमों की तो निगरानी रहेगी ही, पर इस बार शासन द्वारा रखे गए मानीटरों की भी गिद्ध जैसी नजरें गरीबों को रोटी देनी वाली इसी योजना पर लगी रहेगी। इसको लेकर शासन ने रणनीति बनाते हुए पूरा खाका खींच लिया है। योजना में अब मनरेगा कार्यों के अनुश्रवण, मूल्यांकन व सत्यापन के लिए जिलों में राज्य गुणवत्ता मानीटरों को भेजा जाएगा।
यही नहीं यह मानीटर यानी एसक्यूएम ग्राम पंचायतों में जाकर कम से कम छह घंटे मौजूद रहकर वहां की स्थिति देखकर एवं मजदूरों से संवाद करने के बाद ही अपनी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करेंगे। बताया गया कि दो खाली हाथों को काम देने एवं काम के बाद उन्हें दाम देने वाली योजना मनरेगा आरोपों के घेरे में न आए और इस पर सवालिया निशान न लगे तो जिले के अधिकारियों की तो इस योजना पर नजरें रहती ही हैं, इस बार से शासन की नजरें भी इस पर रहे तो इसको लेकर पूरी रणनीति तय कर दी गई है। बनी रणनीति में मनरेगा में राज्य गुणवत्ता मानीटर (एसक्यूएम) की तैनाती करने की योजना बनाई गई है। योजना में प्रदेश के 18 मंडलों में 18 एसक्यूएम रखने का निर्णय लिया गया है। शासन की तरफ से उप सचिव गिरजा शंकर त्रिवेदी द्वारा जारी निर्देशों में राज्य गुणवत्ता मानीटर की सेवा शर्तों का भी निर्धारण कर दिया गया है। बताया गया कि एक एसक्यूएम से 20 कार्यों का निरीक्षण करवाया जाएगा। प्रदेश स्तर पर आयुक्त स्तर से इनका चयन होने के बाद इन मानीटरों को किसी भी दशा में गृह जनपद नहीं दिया जाएगा। चक्रानुक्रम में मानीटरों को जनपद आवंटित किए जाएंगे। इसके अलावा जनपद आवंटित होने के बाद जिस ग्राम सभा के निरीक्षण पर जाएंगे और वहां कम से कम छह घंटे रहकर न सिर्फ वहां के ग्रामीणों से संवाद स्थापित करेंगे, बल्कि उनकी शिकायतों को भी प्रमुखता से सुनेंगे। शासन द्वारा लाभार्थी से संवाद करने के बाद ग्रास रूट लेबिल पर योजना का असर अंकित करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। बताया गया कि इनकी सेवाएं अस्थायी होंगे। यदि मानकों के अनुसार यह मानीटर अपना काम नहीं कर पाएंगे, तो उनको उनके पद से हटा दिया जाएगा। बहरहाल इन मानीटरों के जिलों में पहुंचने का ही रास्ता साफ हो जाने के बाद जिले में संबंधित विभाग में भी इसको लेकर हलचल है। आला अधिकारियों की मानें तो इस बाबत संबंधित ब्लाकों तक के अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है।