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हरदोई। नुमाइश मैदान पर श्रीराम लीला कमेटी के तत्वावधान में चल रही रामलीला में बुधवार को नारद मोह की लीला का मंचन किया गया। गोविंद गोपाल लीला संस्थान के निर्देशक कन्हैयालाल दत्तात्रेय एवं विष्णु लाल दत्तात्रेय के संयोजन में कलाकारों ने शिव पार्वती संवाद एवं नारद मोह की लीला का मंचन किया, जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
लीला के माध्यम से नारद जी के घमंड को भी दिखाया और यह भी दिखाया कि भगवान विष्णु ने किस प्रकार नारद जी के घमंड को तोड़ा। समस्त लीलाओं को कलाकारों ने बड़े भावपूर्ण अंदाज में पेश किया। कलाकारों ने मंचन में दिखाया कि विवाह के बाद भगवान शिव माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा का सुनाते हैं। जिसमें वह उस प्रसंग को भी सुनाते हैं जिसमें सती रूप में माता पार्वती भगवान राम की परीक्षा लेने पहुंचती हैं। जिस पर माता पार्वती क्षमा याचना करती हुई। आगे की कथा का सुनाने का आग्रह करती हैं। इसी कथा में भोले नाथ से पूछती हैं कि जब श्रीराम भगवान विष्णुका रूप हैं, तो वह मनुष्य रूप में परेशानियां क्यों सहते हैं।
इस पर शिव उन्हें बताते हैं कि कोई कर्म किए बिना व्यक्ति पशु के समान होता है, इसलिए श्रीराम ने मनुष्य रूप धारण समस्त कर्म किए और मनुष्य रूप में होने पर भी परम ब्रह्म कहलाए। कलाकारों ने शिव पार्वती संवाद लीला का मनोहारी मंचन किया। एक बार नारदजी तप करते हैं तो देवराज इंद्र उनका तप खंडित करने को कामदेव को भेजते हैं, पर कामदेव उनके तप को ख्ंाडित तो नहीं कर पाते, बल्कि नारद जी से परास्त होकर नतमस्तक हो जाते हैं। इस पर नारदजी को घमंड हो जाता है और वह स्वयं को भगवान शंकर, ब्रह्मा और स्वयं नारायण से बढ़कर समझने लगते हैं और अपनी कथा पूरे ब्रह्मांड को सुनाने लगते हैं।
इस पर भगवान विष्णु उनके घमंड को तोड़ने का निश्चय करते हैं। कलाकारों ने इस लीला का सुंदर मंचन किया। इस मौके पर मुख्य आयोजक राम प्रकाश प्रकाश शुक्ला, लीला संयोजक कृष्ण अवतार दीक्षित आदि मौजूद थे। उधर, नुमाइश मेले में गैर जिलों से आ रहे झूले आदि सहित दुकानों को लगाने का काम तेजी के साथ शुरू हो गया है।
हरदोई। नुमाइश मैदान पर श्रीराम लीला कमेटी के तत्वावधान में चल रही रामलीला में बुधवार को नारद मोह की लीला का मंचन किया गया। गोविंद गोपाल लीला संस्थान के निर्देशक कन्हैयालाल दत्तात्रेय एवं विष्णु लाल दत्तात्रेय के संयोजन में कलाकारों ने शिव पार्वती संवाद एवं नारद मोह की लीला का मंचन किया, जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
लीला के माध्यम से नारद जी के घमंड को भी दिखाया और यह भी दिखाया कि भगवान विष्णु ने किस प्रकार नारद जी के घमंड को तोड़ा। समस्त लीलाओं को कलाकारों ने बड़े भावपूर्ण अंदाज में पेश किया। कलाकारों ने मंचन में दिखाया कि विवाह के बाद भगवान शिव माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा का सुनाते हैं। जिसमें वह उस प्रसंग को भी सुनाते हैं जिसमें सती रूप में माता पार्वती भगवान राम की परीक्षा लेने पहुंचती हैं। जिस पर माता पार्वती क्षमा याचना करती हुई। आगे की कथा का सुनाने का आग्रह करती हैं। इसी कथा में भोले नाथ से पूछती हैं कि जब श्रीराम भगवान विष्णुका रूप हैं, तो वह मनुष्य रूप में परेशानियां क्यों सहते हैं।
इस पर शिव उन्हें बताते हैं कि कोई कर्म किए बिना व्यक्ति पशु के समान होता है, इसलिए श्रीराम ने मनुष्य रूप धारण समस्त कर्म किए और मनुष्य रूप में होने पर भी परम ब्रह्म कहलाए। कलाकारों ने शिव पार्वती संवाद लीला का मनोहारी मंचन किया। एक बार नारदजी तप करते हैं तो देवराज इंद्र उनका तप खंडित करने को कामदेव को भेजते हैं, पर कामदेव उनके तप को ख्ंाडित तो नहीं कर पाते, बल्कि नारद जी से परास्त होकर नतमस्तक हो जाते हैं। इस पर नारदजी को घमंड हो जाता है और वह स्वयं को भगवान शंकर, ब्रह्मा और स्वयं नारायण से बढ़कर समझने लगते हैं और अपनी कथा पूरे ब्रह्मांड को सुनाने लगते हैं।
इस पर भगवान विष्णु उनके घमंड को तोड़ने का निश्चय करते हैं। कलाकारों ने इस लीला का सुंदर मंचन किया। इस मौके पर मुख्य आयोजक राम प्रकाश प्रकाश शुक्ला, लीला संयोजक कृष्ण अवतार दीक्षित आदि मौजूद थे। उधर, नुमाइश मेले में गैर जिलों से आ रहे झूले आदि सहित दुकानों को लगाने का काम तेजी के साथ शुरू हो गया है।