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हरदोई। देश का आजाद कराने को जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानी दी, आज उनके स्तंभों की भी देखभाल करने में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे कहीं सेनानियों के शिलालेख क्षतिग्रस्त हो रहे, तो कहीं पर उस पर अंकित नाम मिट गए हैं। जिला मुख्यालय स्थित गांधी भवन मेें लगा शहीद स्तंभ उपेक्षा का शिकार होता नजर आ रहा है। इस ओर अफसरों का भी ध्यान नहीं जाता।
ब्रिटिश हुकूमत से कड़ा संघर्ष करने के बाद देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की यादें अब गोष्ठियों तक ही सीमित होती जा रही है। कभी कभार मौजूद सेनानियों को सम्मानित कर दिया जाता है, लेकिन अमर सेनानियों की याद में बनाए गए शहीद स्तंभों को उपेक्षित किया जा रहा है। नगर क्षेत्र में गांधी मैदान स्थित अमर सेनानियों की स्मृति में बनाए गए स्तंभ भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ हैं। स्तंभ पर जहां काई जम रही है, वहीं आसपास गंदगी फैली है। हैरत की बात है कि यह स्थिति तब है जब कि जिले के आला अफसर मुख्यालय पर बैठते हैं।
कछौना ब्लॉक के जूनियर हाईस्कूल प्रांगण में स्थित स्तंभ शिलालेख की चहारदीवारी लंबे अरसे से क्षतिग्रस्त पड़ी है। शिलाखंड भी खंडित हो गया है। इसकी मरम्मत को सूबे के गवर्नर समेत बड़े अफसरों ने जानकारी मिलने पर जिले के अफसरों को निर्देश दिए थे कि नियमानुसार कार्रवाई करें। इसके बावजूद इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया, जिससे आज भी इसकी स्थित जस की तस पड़ी है। वर्ष 1923-42 के दौरान ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने वाले श्रीकृष्ण त्यागी, मदन सिंह और जगन्नाथ शर्मा की याद में टड़ियावां ब्लॉक परिसर में बनाया गया स्तंभ प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना है। इस स्तंभ पर अंकित सेनानियों के नाम भी साफ हो गए। इससे सेनानियों के परिजन खफा हैं। स्वतंत्रता सेनानी श्रीकृष्ण त्यागी के पुत्र अविनाश त्यागी ने बताया कि उन्होंने कई बार अफसरों से स्तंभ ठीक कराने को कहा, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। दो दिन बाद गणतंत्र दिवस पर फिर इन्हीं सेनानियों की याद में पुष्प अर्पित तो किए जाएंगे, पर उसके बाद फिर स्थिति जस की तस हो जाएगी। इसको लेकर सेनानियों के परिजनों को भी मलाल है।
हरदोई। देश का आजाद कराने को जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानी दी, आज उनके स्तंभों की भी देखभाल करने में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे कहीं सेनानियों के शिलालेख क्षतिग्रस्त हो रहे, तो कहीं पर उस पर अंकित नाम मिट गए हैं। जिला मुख्यालय स्थित गांधी भवन मेें लगा शहीद स्तंभ उपेक्षा का शिकार होता नजर आ रहा है। इस ओर अफसरों का भी ध्यान नहीं जाता।
ब्रिटिश हुकूमत से कड़ा संघर्ष करने के बाद देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की यादें अब गोष्ठियों तक ही सीमित होती जा रही है। कभी कभार मौजूद सेनानियों को सम्मानित कर दिया जाता है, लेकिन अमर सेनानियों की याद में बनाए गए शहीद स्तंभों को उपेक्षित किया जा रहा है। नगर क्षेत्र में गांधी मैदान स्थित अमर सेनानियों की स्मृति में बनाए गए स्तंभ भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ हैं। स्तंभ पर जहां काई जम रही है, वहीं आसपास गंदगी फैली है। हैरत की बात है कि यह स्थिति तब है जब कि जिले के आला अफसर मुख्यालय पर बैठते हैं।
कछौना ब्लॉक के जूनियर हाईस्कूल प्रांगण में स्थित स्तंभ शिलालेख की चहारदीवारी लंबे अरसे से क्षतिग्रस्त पड़ी है। शिलाखंड भी खंडित हो गया है। इसकी मरम्मत को सूबे के गवर्नर समेत बड़े अफसरों ने जानकारी मिलने पर जिले के अफसरों को निर्देश दिए थे कि नियमानुसार कार्रवाई करें। इसके बावजूद इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया, जिससे आज भी इसकी स्थित जस की तस पड़ी है। वर्ष 1923-42 के दौरान ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने वाले श्रीकृष्ण त्यागी, मदन सिंह और जगन्नाथ शर्मा की याद में टड़ियावां ब्लॉक परिसर में बनाया गया स्तंभ प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना है। इस स्तंभ पर अंकित सेनानियों के नाम भी साफ हो गए। इससे सेनानियों के परिजन खफा हैं। स्वतंत्रता सेनानी श्रीकृष्ण त्यागी के पुत्र अविनाश त्यागी ने बताया कि उन्होंने कई बार अफसरों से स्तंभ ठीक कराने को कहा, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। दो दिन बाद गणतंत्र दिवस पर फिर इन्हीं सेनानियों की याद में पुष्प अर्पित तो किए जाएंगे, पर उसके बाद फिर स्थिति जस की तस हो जाएगी। इसको लेकर सेनानियों के परिजनों को भी मलाल है।