सरकारी अस्पतालों में खांसी और शुगर समेत दस दवाएं खत्म
हापुड़। सरकारी अस्पतालों में एंटी बायोटिक, एंटी एलर्जिक, खांसी के सीरप शुगर की दवाएं खत्म हो गई हैं। दो महीने से इनकी आपूर्ति गड़बड़ाई हुई है। सीएचसी के दवा खरीद का बजट भी खत्म हो गया है। ड्रगवेयर सेेंटर अपनी मर्जी से दवाओं का आवंटन कर रहा है, आवश्यक दवाओं की सप्लाई नहीं मिलने से मरीज हंगामा कर रहे हैं। जिम्मेदार मूकदर्शक बने बैठे हैं, मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से ही दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में महज एक रुपये के पर्चे पर मरीजों को उपचार मिलता है। इसमें महंगी जांच समेत तमाम दवाएं भी मुहैया करायी जाती हैं। हापुड़ सीएचसी में एक वर्ष की दवा खरीद का बजट करीब एक करोड़ से भी अधिक का होता है, लेकिन मरीजों की भीड़ के कारण वर्ष 2021-22 में आवंटित बजट पहले ही समाप्त हो चुका है। अब अस्पतालों को ड्रग वेयर सेंटर से पेंडिंग बिलों के जरिए दवाएं दी जा रही हैं।
मुख्य बात यह है कि अस्पतालों में उपचार के लिए आए मरीजों को इन दिनों दवाएं नहीं मिल रही हैं। बुखार का मौसम है ऐसे में एंटी बायोटिक जैसी दवाएं खत्म होने से स्वास्थ्य सेवाएं डगमगा गई हैं। एंटी एलर्जिक दवाएं तक नहीं है, दाद संबंधी क्लोट्रिमा जोल को ही एलर्जी में प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है।
इन दवाओं का स्टॉक खत्म
* एंटीबायोटिक - सिप्रोफ्लोकसासीन, सिफैकसीम विद क्लेवनिक एसिड, सिफैकसीम।
* एंटीएलर्जिक - लीवरेसैटजीन, सीट्राजीन, सीपीएम, बीबी लोशन।
* खांसी - एंटी एलर्जिक, लीवो सालसिटोवोन, प्रोमैथाजीन, कफ सीरप।
* शुगर - मैटफोरमिन
* बच्चों के दस्त में - मेट्रोजिल, वैलामाइसीन।
निजी मेडिकल स्टोर पर इन दवाओं के दाम
* सिप्रोफ्लोकसासीन-----23 से 40 रुपये/ 10 टेबलेट
* सिफैकसीम विद क्लेवनिक एसिड----278 रुपये/10 टेबलेट
* सिफैकसीम----107 रुपये/10 टेबलेट।
* लीवरेसैटजीन--25 से 39 रुपये/15 टेबलेट
* सीट्राजीन---- 27 रुपये/ 15 टेबलेट
* लीवो सालसिटोवोन--- 22 रुपये/100एमएल
* प्रोमैथाजीन---- 37 रुपये/ 100एमएल,
* कफ सीरप--- 129 रुपये /120एमएल।।
* मैटफोरमिन 500 एमजी---16.80 रुपये/10 टैबलेट
* मेट्रोजिल----30 रुपये/60एमएल
* वैलामाइसीन---52 रुपये/30एमएल।
(नोट : दवाओं के यह रेट हापुड़ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री विकास गर्ग द्वारा दिए गए हैं।)
एलर्जी वाले मरीजों को दे रहे दाद का लोशन
एलर्जी के मरीजों को अस्पतालों में क्लोट्रिमा जोल दिया जा रहा है। यह लोशन दाद के उपचार में प्रयोग होता है। लेकिन दवाओं की किल्लत के चलते मरीजों को यह लोशन थमाया जा रहा है।
डायरिया की दवाई भी खत्म
बच्चों में डायरिया का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन कई अस्पतालों में बच्चों के लिए दस्तों से राहत दिलाने का सीरप तक मौजूद नहीं है। अस्पतालों को मेट्रोजिल, वैलामाइसीन सीरप मिलता है, जो काफी दिनों से खत्म पड़ा है।
शुगर के मरीजों की बढ़ी परेशानी
गरीब तबके के शुगर से पीड़ित मरीजों का दवाएं खत्म होने से बुरा हाल है। क्योंकि ऐसे मरीजों को आजीवन दवाएं खानी होती है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में स्टाक खत्म है, जिसके चलते मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
कोट -
अस्पतालों को दवाओं की सप्लाई कॉरपोरेशन द्वारा की जाती है। उच्चाधिकारियों को दवाओं की स्थिति से अवगत करा दिया गया है। जल्द ही दवाएं अस्पतालों को प्राप्त हो जाएंगी। - डॉ प्रवीण शर्मा, एसीएमओ।