गली-मोहल्लों में बंदरों का उत्पात, 300 लोग रोज पहुंच रहे अस्पताल
हापुड़। शहर की हर गली और मोहल्ले में बंदरों का उत्पात चरम पर है, वहीं गांवों में भी अब बंदर परेशानी का सबब बने हुए हैं। जिले के अस्पताल में प्रतिदिन करीब ढाई सौ से तीन सौ लोग रेबीज के इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंच रहे हैं। बंदरों के उत्पात से बचने के लिए लोगों ने घरों की छतों पर लोहे के जाल लगवा लिए हैं। लेकिन बंदरों का सड़कों पर आतंक बढ़ गया है। बंदरों को पकड़वाने की जिम्मेदारी शहरी क्षेत्र में नगर पालिका का है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बंदर पकड़ने का अभियान गति नहीं पकड़ सका है। लेकिन नगर पालिका के अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सड़कों पर निकलना मुश्किल
शहर के कई इलाकों में बंदरों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगों को गलियों में निकलने के लिए कई बार काफी इंतजार करना पड़ता है। बंदरों का झुंड सड़क पर ही जमा रहता है, किसी की इन्हें पार करने की हिम्मत नहीं होती। लोग घर से बाहर सड़क पर निकलने से डरते हैं।
शहर की पॉश कालोनियों के 70 फीसदी मकानों पर जाल
लोगों ने बंदरों से बचने के लिए घरों की छतों और बाहर के हिस्से को लोहे आदि के जाल से बंद करा दिया है। मात्र हवा और कोई छोटी वस्तु ही यहां से मकान के अंदर दाखिल हो सकती है। शहर के अधिकतर इलाकों में यह नजारा आजकल साफ नजर आ रहा है। हालांकि, इसमें लोगों के हजारों रुपये खर्च हो रहे हैं। देहात क्षेत्रों में भी बंदर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। फसलों को उजाड़ रहे हैं और रोकने पर हमला कर देते हैं।
बंदरों को पकड़ने के लिए चलेगा अभियान
नगर पालिका के ईओ एसके गौतम का कहना है कि बंदरों को पकड़ने के लिए कुछ दिन पहले ही श्रीनगर में अभियान चलाया गया था। जल्द ही दूसरे क्षेत्रों में भी चलाया जाएगा।
बंदरों के हमले से हुई कुछ घटनाएं
- पिछले वर्ष मोहल्ला घासमंडी और गांव श्यामनगर में बंदरों के हमले में दो बच्चियां छत से गिरकर हो गई थी घायल
- फरवरी 2021- शिवपुरी में बंदरों के हमले में तीन लोग घायल
- जनवरी 2021 -श्यामनगर में बंदरों के हमले में छह लोग हो गए थे घायल
- मई 2021 -स्वर्ग आश्रम रोड पर शक्तिनगर निवासी सुनील वर्मा को किया घायल
शिवपुरी कालोनी में एक मकान की दीवार पर बैठे बंदर। संवाद- फोटो : HAPUR
गली-मोहल्लों में बंदरों का उत्पात, 300 लोग रोज पहुंच रहे अस्पताल
हापुड़। शहर की हर गली और मोहल्ले में बंदरों का उत्पात चरम पर है, वहीं गांवों में भी अब बंदर परेशानी का सबब बने हुए हैं। जिले के अस्पताल में प्रतिदिन करीब ढाई सौ से तीन सौ लोग रेबीज के इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंच रहे हैं। बंदरों के उत्पात से बचने के लिए लोगों ने घरों की छतों पर लोहे के जाल लगवा लिए हैं। लेकिन बंदरों का सड़कों पर आतंक बढ़ गया है। बंदरों को पकड़वाने की जिम्मेदारी शहरी क्षेत्र में नगर पालिका का है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बंदर पकड़ने का अभियान गति नहीं पकड़ सका है। लेकिन नगर पालिका के अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सड़कों पर निकलना मुश्किल
शहर के कई इलाकों में बंदरों के आतंक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगों को गलियों में निकलने के लिए कई बार काफी इंतजार करना पड़ता है। बंदरों का झुंड सड़क पर ही जमा रहता है, किसी की इन्हें पार करने की हिम्मत नहीं होती। लोग घर से बाहर सड़क पर निकलने से डरते हैं।
शहर की पॉश कालोनियों के 70 फीसदी मकानों पर जाल
लोगों ने बंदरों से बचने के लिए घरों की छतों और बाहर के हिस्से को लोहे आदि के जाल से बंद करा दिया है। मात्र हवा और कोई छोटी वस्तु ही यहां से मकान के अंदर दाखिल हो सकती है। शहर के अधिकतर इलाकों में यह नजारा आजकल साफ नजर आ रहा है। हालांकि, इसमें लोगों के हजारों रुपये खर्च हो रहे हैं। देहात क्षेत्रों में भी बंदर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। फसलों को उजाड़ रहे हैं और रोकने पर हमला कर देते हैं।
बंदरों को पकड़ने के लिए चलेगा अभियान
नगर पालिका के ईओ एसके गौतम का कहना है कि बंदरों को पकड़ने के लिए कुछ दिन पहले ही श्रीनगर में अभियान चलाया गया था। जल्द ही दूसरे क्षेत्रों में भी चलाया जाएगा।
बंदरों के हमले से हुई कुछ घटनाएं
- पिछले वर्ष मोहल्ला घासमंडी और गांव श्यामनगर में बंदरों के हमले में दो बच्चियां छत से गिरकर हो गई थी घायल
- फरवरी 2021- शिवपुरी में बंदरों के हमले में तीन लोग घायल
- जनवरी 2021 -श्यामनगर में बंदरों के हमले में छह लोग हो गए थे घायल
- मई 2021 -स्वर्ग आश्रम रोड पर शक्तिनगर निवासी सुनील वर्मा को किया घायल

शिवपुरी कालोनी में एक मकान की दीवार पर बैठे बंदर। संवाद- फोटो : HAPUR