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गढ़ में बनेगा कृषि विज्ञान केंद्र, भूमि की तलाश शुरू
Hapur
Updated Fri, 25 Jan 2013 05:31 AM IST
गढ़मुक्तेश्वर। केंद्र सरकार की ओर से संचालित इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च योजना के तहत प्रदेश के नवसृजित जनपदों में कृषि विज्ञान केंद्र बनाने को हरी झंडी मिल गई है। इसके तहत हापुड़ जनपद की गढ़ तहसील में भूमि की तलाश शुरू हो गई है।
प्रदेश के नवसृजित जनपद हापुड़, शामली, अमरोहा, संभल, श्रावस्ती, कासगंज, अमेठी, कानपुर देहात में कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना होनी है। इसके लिए हर जनपद में 30 एकड़ भूमि उपलब्ध होना अनिवार्य है। प्रदेश के संयुक्त सचिव सुरजन द्वारा इस संबंध में मेरठ, कानपुर एवं फैजाबाद के कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों को शासनादेश की कॉपी भेजी गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र की बिल्डिंग के निर्माण पर दो करोड़ की लागत आनी है, जिसमें विभिन्न विभागों से संबंधित 6 वैज्ञानिकों सहित कुल 16 कर्मचारियों का स्टाफ तैनात होगा। जनपद हापुड़ में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना के लिए गढ़ क्षेत्र को चुना गया है, जहां तहसील प्रशासन द्वारा भूमि की तलाश जोरों से शुरू कर दी गई है। एसडीएम केबी सिंह ने बताया कि शासन से मिले निर्देशों के आधार पर गढ़ क्षेत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना के मद्देनजर 30 एकड़ भूमि की तलाश शुरू कर दी गई है। गंगा खादर क्षेत्र में ग्राम समाज की काफी भूमि उपलब्ध है, जिसमें स्थान चिन्हित कर अतिशीघ्र शासन को प्रस्ताव भेज दिया जाएगा।
किसानों को मिलेगा फायदा
मुरादनगर कृषि विज्ञान केन्द्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार यादव ने बताया कि गढ़ में कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना होने से किसानों के दिन बहुर जाएंगे। कृषि विज्ञान केन्द्र में खेतीबाड़ी, कृषि अभियंत्रण, पशु पालन, गृह विज्ञान, बागवानी एवं फसल सुरक्षा स्तर पर वैज्ञानिक तैनात होंगे। क्षेत्रीय किसानों को वैज्ञानिक विधि द्वारा उन्नत खेती और फसलों में लगने वाली बीमारियों पर तत्काल नियंत्रण स्थापित करना संभव हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे किसानों के रोजगार के साधनों में भी इजाफा होगा, क्योंकि प्रशिक्षण हासिल करने के बाद उन्हें मधुमक्खी, मुर्गी एवं सुअर पालन से लेकर पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा नर्सरी प्रबंधन, फूल एवं मशरूम की खेती करना भी बेहद सहज हो जाएगा। किसानों को फलों का मुरब्बा एवं जेली बनाकर उसे बाजार में सप्लाई करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे उनके रोजगार साधन बढ़ेंगे।
गढ़मुक्तेश्वर। केंद्र सरकार की ओर से संचालित इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च योजना के तहत प्रदेश के नवसृजित जनपदों में कृषि विज्ञान केंद्र बनाने को हरी झंडी मिल गई है। इसके तहत हापुड़ जनपद की गढ़ तहसील में भूमि की तलाश शुरू हो गई है।
प्रदेश के नवसृजित जनपद हापुड़, शामली, अमरोहा, संभल, श्रावस्ती, कासगंज, अमेठी, कानपुर देहात में कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना होनी है। इसके लिए हर जनपद में 30 एकड़ भूमि उपलब्ध होना अनिवार्य है। प्रदेश के संयुक्त सचिव सुरजन द्वारा इस संबंध में मेरठ, कानपुर एवं फैजाबाद के कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों को शासनादेश की कॉपी भेजी गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र की बिल्डिंग के निर्माण पर दो करोड़ की लागत आनी है, जिसमें विभिन्न विभागों से संबंधित 6 वैज्ञानिकों सहित कुल 16 कर्मचारियों का स्टाफ तैनात होगा। जनपद हापुड़ में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना के लिए गढ़ क्षेत्र को चुना गया है, जहां तहसील प्रशासन द्वारा भूमि की तलाश जोरों से शुरू कर दी गई है। एसडीएम केबी सिंह ने बताया कि शासन से मिले निर्देशों के आधार पर गढ़ क्षेत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना के मद्देनजर 30 एकड़ भूमि की तलाश शुरू कर दी गई है। गंगा खादर क्षेत्र में ग्राम समाज की काफी भूमि उपलब्ध है, जिसमें स्थान चिन्हित कर अतिशीघ्र शासन को प्रस्ताव भेज दिया जाएगा।
किसानों को मिलेगा फायदा
मुरादनगर कृषि विज्ञान केन्द्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार यादव ने बताया कि गढ़ में कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना होने से किसानों के दिन बहुर जाएंगे। कृषि विज्ञान केन्द्र में खेतीबाड़ी, कृषि अभियंत्रण, पशु पालन, गृह विज्ञान, बागवानी एवं फसल सुरक्षा स्तर पर वैज्ञानिक तैनात होंगे। क्षेत्रीय किसानों को वैज्ञानिक विधि द्वारा उन्नत खेती और फसलों में लगने वाली बीमारियों पर तत्काल नियंत्रण स्थापित करना संभव हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे किसानों के रोजगार के साधनों में भी इजाफा होगा, क्योंकि प्रशिक्षण हासिल करने के बाद उन्हें मधुमक्खी, मुर्गी एवं सुअर पालन से लेकर पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा नर्सरी प्रबंधन, फूल एवं मशरूम की खेती करना भी बेहद सहज हो जाएगा। किसानों को फलों का मुरब्बा एवं जेली बनाकर उसे बाजार में सप्लाई करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे उनके रोजगार साधन बढ़ेंगे।