गढ़। स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी-कर्मचारी बनकर मेडिकल स्टोर्स और नर्सिंग होम्स के चिकित्सकों से वसूली करने वाले फर्जी सीएमओ का गैंग वाहन भी चुराता था। उन्होंने धंधे का नेटवर्क कई जिलों में फैला रखा था। गिरोह के दो सदस्य भाइयों को रिमांड पर लेकर हुई पूछताछ में पता चला है कि यह गिरोह ठगी करने के साथ-साथ मौका पाकर वाहन भी चुराता था। उनकी निशानदेही पर तीन गाड़ियां भी बरामद की गई हैं।
गढ़, ब्रजघाट, बहादुरगढ़, डेहरा कुटी, नानपुर, सिंभावली और बक्सर में स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी-कर्मचारी बनकर कुछ लोग काफी समय मेडिकल स्टोर्स और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों से रकम ऐंठ रहे थे।15 मई को बक्सर में अवैध वसूली करते हुए व्यापार मंडल ने उन्हें दबोच लिया था। सिंभावली पुलिस ने पकड़े गए सभी 6 लोगों को फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी के आरोप में जेल भेज दिया था।
पुलिस ने कोर्ट में अर्जी देकर दो जालसाज भाइयों नरेश एवं सर्वेश पुत्रगण कैलाशचंद निवासी शांतिनगर हापुड़ को रिमांड पर लिया था। पूछताछ में दोनों भाइयों ने स्वीकार किया कि वे जालसाजी-ठगी के साथ ही वाहन चोरों के अंतर्राज्यीय गिरोह से जुड़े हैं। एसओ ने बताया कि रिमांड पर लाए गए जालसाजों की निशानदेही पर एक प्लेटीना, एक इंडिका और एक मारुती वैन मिली है। बाइक मेरठ, इंडिका गाजियाबाद एवं मारुती वैन को नोएडा से चुराई गई थी। उन्हें ठिकाने लगाने के लिए सौदेबाजी चल रही थी।
झोलाछाप बन गए फर्जी डॉक्टर!
गढ़। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बन कर छोटे बाजारों-कस्बों में निजी चिकित्सकों, नर्सिंग होम संचालकों और मेडिकल स्टोरों से वसूली करने वाले फर्जी सीएमओ गिरोह में झोलाछाप डॉक्टर भी सदस्य हैं। उसने कई साल पहले प्रैक्टिस भी की थी लेकिन वहां धंधा नहीं जमा तो ठगी का रास्ता अख्तियार कर लिया। पूछताछ में पता चला है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के नाम पर ठगी करने वालों को मेडिकल लाइन की काफी बेसिक जानकारियां थीं। इसी के जरिए वे अपने शिकार को दबाव में ले लेते थे। उन्हें नर्सिंग होम, मेडिकल स्टोर और फार्मेसिस्ट पंजीकरण के नियमों-कानूनों की जानकारी थी। साथ ही वे हेल्थ और मेडिकल की सामान्य टर्मोलॉजी और समय-समय पर आने वाले शासनादेशों के बारे में भी काफी कुछ जानते थे। यही कारण था कि आमतौर पर उन पर किसी को शक नहीं होता था।