श्रद्धालुओं की भावनाओं से खुलेआम खिलवाड़
अंतिम संस्कार के समय भी लूट ली जाती है जेब
महज सात किमी. में ही लकड़ी के रेट हो जाते हैं दोगुने
गढ़मुक्तेश्वर। कहने को तो ब्रजघाट धर्म नगरी से जानी जाती है, लेकिन जितने धर्म की आड़ में यहां खेल होते हैं, शायद ही कोई जानता हो। धर्म के साथ लोगों के संस्कार जुडे़ होते हैं और मान्यताएं जुड़ी होती हैं, लेकिन धर्म जैसी कोई संवेदना और संवेदनशीलता ब्रजघाट में नजर नहीं आती। श्रद्धालुओं के साथ लूट मार, उनकी भावनाओं से खिलवाड़ जैसे कई क्रिया क्रम यहां खुले होते हैं। मरने वाला तो बच जाता है, लेकिन जो पीछे संस्कार के साथ बंधे होते हैं, उनकी जो दुर्गति यहां होती सोच कर भी मन दुखी हो जाता है। यहां पर मौत पर भी मोटी कमाई की जा रही है।
यहां दोगुने रेट पर लकड़ी बेची जा रही है। इसके अलावा यहां पर नावों में बैठाकर इच्छानुसार किराया वसूला जाता है तो भिखारी भीख मांगने के स्थान पर लूट कर ले जाते है। हैरानी की बात है कि इस पर नकेल कसने वाला कोई नहीं।
गंदगी के बीच होता संस्कार
ब्रजघाट श्मशान घाट पर बाढ़ के बाद हालात बिगड़ जाते है क्योंकि पक्के घाट से दूर कच्चे में अंतिम संस्कार होते है जहां पर आवारा मवेशी घूमते रहते है जो वहीं पर गंगा जल में पड़ी राख तथा हड्डियों को खाते रहते है। कुल मिलाकर मोक्ष दायनी गंगा मां के किनारे अंतिम समय भी दिवंगत को गंदगी से दो चार हाथ करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं एसडीएम
पालिका का कार्यभार देख रहे गढ़ एसडीएम पुष्पराज सिंह ने बताया कि ्गंगा किनारे दो पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जा रही है जबकि नाव खड़ी करने के लिए स्थान चिंहित करते हुए दो रेट लागू कर दिए गए है। जो श्रद्धा से आएंगे उनसे कम तथा जो पर्यटक के रूप में आएंगे उनसे अधिक किराया वसूला जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां हो रहे लूटपाट को भी रोका जाएगा।