कुबूल की गलती, क्लेम के लालच में कहानी गढ़ी थी
सख्ती के बाद पुलिस को सौंपा स्कूटर
‘अमर उजाला’ की थ्योरी पर पूछताछ में खुलीं झूठ की परतें
हापुड़। सर्व यूपी ग्रामीण बैंक के कैशियर से सोमवार को हुई 10 लाख रुपये की लूट में लापरवाही बैंककर्मियों की ही निकली। बैंक के कैशियर उमेश कुमार ने पूछताछ में अपनी गलती कुबूल कर ली। उसने माना कि वे स्कूटर से ही कैश ले जा रहे थे। वे जानते थे कि अगर लूट स्कूटर से दिखाई गई तो कैश का क्लेम नहीं मिलेगा, इसलिए उन्होंने बैंक अफसरों और पुलिस से भी झूठ बोला कि वे कैश कार से ले जा रहे थे। कैशियर ने अपनी स्कूटर भी पुलिस को सौंप दिया है। उधर, अभी तक लुटेरों का पता नहीं चल सका है। बता दें कि बैंक कर्मियों के झूठ और प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से ‘अमर उजाला’ ने अपने 15 मई के अंक में कई अहम सवाल खड़े किए थे। पुलिस ने आज जब इस थ्योरी पर काम शुरू किया तो झूठ की बरतें खुद-ब-खुद खुलती गईं।
सोमवार की सुबह को गांव उबारपुर स्थित सर्व यूपी ग्रामीण बैंक के कैशियर मेरठ निवासी उमेश कुमार और थाना हापुड़ देहात क्षेत्र निवासी मैसेंजर बलबीर से 10 लाख रुपये की लूट उस समय हुई थी जब वे गढ़ रोड स्थित पीएनबी की मुख्य शाखा से कैश लेकर अपनी शाखा लौट रहे थे। उन्होंने पुलिस को बताया था कि लूट के समय वे किराये पर ली गई कार में थे जबकि पुलिस को
लूट की जानकारी देने वाले प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक लूूट के समय दोनों बैंककर्मी स्कूटर से
थे। दोनों बयानों में अंतर को देखते हुए पुलिस ने दोनों का आमना-सामना कराया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार थोड़ी ही सख्ती पर कैशियर टूट गया और उससे अपनी लापरवाही स्वीकार कर ली। उसने माना कि अपनी गलती छिपाने और कैश का क्लेम बचाने के लिए उसने झूठ बोला था। उसने बताया कि वह मेरठ से स्कूटर से सीधे पीएनबी की मुख्य शाखा पर पहुंचा था। वहां कैश लेने के बाद वह मैसेंजर बलवीर के साथ उबारपुर स्थित अपनी शाखा पर जा रहा था लेकिन रास्ते में हाफिजपुर थाना क्षेत्र के चितौली गांव के सामने उनके साथ लूट हो गई। लूट के बाद उन्होंने स्कूटर उबारपुर में खड़ी कर दी और फिर पुलिस को लूट की जानकारी दी। कैशियर ने स्कूटर पुलिस को सौैंप दिया है।
एएसपी की सख्ती से साफ हुई स्थिति
हापुड़। अगर अपर पुलिस अधीक्षक ललित कुमार सिंह ने बैंक कैश लूट मामले में झूठ की कमजोर कड़ियों को न जोड़ा होता तो शायद कई दिन पुलिस कैशियर और मैसेंजर की कहानी में ही उलझी रह जाती। उन्होंने जांच में जुटे पुलिसकर्मियों को नए नजरिए से जांच करने को कहा। उनके निर्देश पर ही कैशियर और सपनावत के प्रत्यक्षदर्शी युवक का आमना-सामना कराया गया था। इसी के बाद कैशियर का झूठ तार-तार हो गया।
जल्दी के कारण नहीं ली कार
हापुड़। सर्व यूपी ग्रामीण बैंक के कैशियर उमेश कुमार का झूठ पुलिस के सामने ज्यादा देर तक नहीं चल पाया। उसने पहले तो कार से ही कैश ले जाने की बात कही लेकिन सख्ती करने पर वह असलियत पर आ गया। हालांकि उसका कहना था कि कार का किराया बचाने नहीं बल्कि जल्दबाजी के कारण वह कार से बजाय स्कूटर से कैश ले जा रहा था। उसने झूठ इसलिए बोला था क्योंकि टैक्सी दिखाने पर लुटी रकम इंश्योरेंस कंपनी से मिल जाती जबकि स्कूटर दिखाने पर रकम नहीं मिलती।
कैशियर पर भी शक है पुलिस को
हापुड़। पुलिस कप्तान अब्दुल हमीद का कहना है कि बैंक कैश लूट के मामले की विस्तृत जानकारी उन्हें मिल गई है। मामले की जांच की जा रही है। जांच में कैशियर की भूमिका भी संदिग्ध है। उसकी भूमिका की भी जांच की जा रही है।