मौदहा (हमीरपुर)। यौमे पैदाईस सरकारे दो आलम (स.अ) के मुबारक मौके पर मोहल्ला हुसैनगंज स्थित खानकाहे निजामिया में आल इंडिया नातिया मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसकी सदारत हाजी सूफी मुख्तार अहमद निजामी व संचालन यावर मौधवी ने की। मुशायरे में करीब दो दर्जन शायरो ने हिस्सा लिया। श्रोताओं ने हर अच्छे शेर पर शायरो को खूब दाद दी। अजहर प्रतापगढ़ी ने अपने शेर पर खूब वाहवाही लूटी-तेरी हस्ती के महकने का सबब ये है फकत, गुल से भौंरे ने कहा सरवरे आलम आए। आयज औरेया के इस शेर को जमकर दाद मिली-जब आए सरवरे जहां थी हर तरफ चमक दमक, है रश्क में सभी मलक वराफाना लका जिकरक। नासिर जौनपुरी ने सुनाया-मौजजा आप का देखिए, बोल उठी हाथ में कंकरी। निजामत कर रहे यावर मौधवी ने शेर पढ़ा जो भी जिकरे नबी में डूब गया लम्हा लम्हा खुशी में डूब गया, जिसने रस्ता नबी का छोड़ दिया वो बशर गुमरही में डूब गया। इरशाद कानपुरी के इस शेर को खूब सराहा गया- मेरे सरकार सा इस जहां में दूसरा कोई आया नहीं, वो जगह कौन सी है जहां मेरे आका का जलवा नहीं। मसीह निजामी के इस शेर पर श्रोता झूम उठे- किस कदर खुशियों में डूबा है जहां, कैफ में है ये जमीनो आशमा, हर तरफ से आ रही है यह सदा मरहबा सल्लेअला सल्लेअला। अजमत मुजफ्फरपुरी ने पढ़ा कैसे कैसे हम बताएं है कहां पर मुस्तफा, जहां जहां पुकारिए वहां वहां है मुस्तफा। ताज निजामी, गुलाम रसूल झांसवी, लतीफ कमालगंज, आफाक निजामी, जाबिर मौधवी, रब्बानी, अबरार दानिश, शहनवाज रब्बानी बांदवी, आलम हमीरपुर ने भी अपने अपने कलाम पेश किए। उधर हाजी वहीद निजामी के आवास पर नातिया मुशायरे का आयोजन हुआ। निजामत मौलाना अताउर्रहमान ने की।
मौदहा (हमीरपुर)। यौमे पैदाईस सरकारे दो आलम (स.अ) के मुबारक मौके पर मोहल्ला हुसैनगंज स्थित खानकाहे निजामिया में आल इंडिया नातिया मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसकी सदारत हाजी सूफी मुख्तार अहमद निजामी व संचालन यावर मौधवी ने की। मुशायरे में करीब दो दर्जन शायरो ने हिस्सा लिया। श्रोताओं ने हर अच्छे शेर पर शायरो को खूब दाद दी।
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अजहर प्रतापगढ़ी ने अपने शेर पर खूब वाहवाही लूटी-तेरी हस्ती के महकने का सबब ये है फकत, गुल से भौंरे ने कहा सरवरे आलम आए। आयज औरेया के इस शेर को जमकर दाद मिली-जब आए सरवरे जहां थी हर तरफ चमक दमक, है रश्क में सभी मलक वराफाना लका जिकरक। नासिर जौनपुरी ने सुनाया-मौजजा आप का देखिए, बोल उठी हाथ में कंकरी। निजामत कर रहे यावर मौधवी ने शेर पढ़ा जो भी जिकरे नबी में डूब गया लम्हा लम्हा खुशी में डूब गया, जिसने रस्ता नबी का छोड़ दिया वो बशर गुमरही में डूब गया। इरशाद कानपुरी के इस शेर को खूब सराहा गया- मेरे सरकार सा इस जहां में दूसरा कोई आया नहीं, वो जगह कौन सी है जहां मेरे आका का जलवा नहीं। मसीह निजामी के इस शेर पर श्रोता झूम उठे- किस कदर खुशियों में डूबा है जहां, कैफ में है ये जमीनो आशमा, हर तरफ से आ रही है यह सदा मरहबा सल्लेअला सल्लेअला। अजमत मुजफ्फरपुरी ने पढ़ा कैसे कैसे हम बताएं है कहां पर मुस्तफा, जहां जहां पुकारिए वहां वहां है मुस्तफा। ताज निजामी, गुलाम रसूल झांसवी, लतीफ कमालगंज, आफाक निजामी, जाबिर मौधवी, रब्बानी, अबरार दानिश, शहनवाज रब्बानी बांदवी, आलम हमीरपुर ने भी अपने अपने कलाम पेश किए। उधर हाजी वहीद निजामी के आवास पर नातिया मुशायरे का आयोजन हुआ। निजामत मौलाना अताउर्रहमान ने की।
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