गोरखपुर। नेकियों और रहमतों का महीना रमजान बृहस्पतिवार से शुरू हो रहा है। इस महीने में अर्श से फर्श तक नेकियों और रहमतों की बारिश का ऐसा सिलसिला शुरू होता है जिसका हर मुसलमान को बेसब्री से इंतजार रहता है। बुधवार की शाम से ही लोग इबादत में मशगूल हो गए। शहर की सौ से ज्यादा छोटी-बड़ी मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हुई। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में लगने वाले बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई। रेती, नखास, शाहमारुफ और जाफरा बाजार में सेहरी व इफ्तार के सामानों से दुकानें भी सज गई हैं।
रमजान शुरू होने पर लोगों के चेहरे खिल उठे और एक दूसरे को मुबारकबाद देकर खुशी का इजहार किया। जो लोग दूर थे उन्हें मोबाइल पर मैसेज करके मुबारकबाद दी गई। हदीस में फरमाया गया है कि रमजान मोहम्मद साहब की उम्मत का महीना है। इस माह में रोजा रखने वालों को बेहिसाब सवाब मिलता है। जो शख्स शिद्दत के साथ अल्लाह की इबादत और कलाम पाक की तिलावत करेगा उसके गुनाह ऐसे धुल जाएंगे जैसे साफ पानी में गंदा पकड़ा धुल जाता है।
यह कहा जाता है कि रोजे रखने वाला मुसलमान कयामत के दिन अल्लाह के नेक बंदों के रूप में पहचाने जाएंगे। मुफ्ती मौलाना वलीउल्लाह ने बताया कि यह महीना इंसानी शैतानियत को काबू में करने का सबसे बेहतरीन वक्त होता है। पूरे साल गुनाह करने वाले इंसान के मन में भी रमजान के दिनों में यह ख्याल बना रहता है कि उसे अपने किये कामों का खुदा को जवाब देना है। यानी रमजान मुबारक गुनाहों को न करने की नसीहत देकर इंसान को अपने आचरण और चरित्र में सुधार करने का मौका देता है। साथ ही भूखे की भूख एवं प्यासे की प्यास को जानने व समझने की नसीहत देकर इंसानी फर्ज की याद दिलाता है। बुधवार की शाम से ही मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ गई है। क्या बच्चा, क्या बूढ़ा और क्या जवान सभी मग्रिब एशा व तरावीह की नमाज पढ़ने मसजिद की तरफ भागे। रमजान में पांच वक्त की नमाज के अलावा एशा की नमाज के साथ 20 रकअत नमाज तरावीह के तौर पर अदा करना फर्ज है। शहर के 100 से ज्यादा मसजिदों और मदरसों में तरावीह की नमाज शुरू हुई। एक सप्ताह से लेकर 27 दिनों तक की तरावीह की नमाज पढ़ी जाएगी।
गोरखपुर। नेकियों और रहमतों का महीना रमजान बृहस्पतिवार से शुरू हो रहा है। इस महीने में अर्श से फर्श तक नेकियों और रहमतों की बारिश का ऐसा सिलसिला शुरू होता है जिसका हर मुसलमान को बेसब्री से इंतजार रहता है। बुधवार की शाम से ही लोग इबादत में मशगूल हो गए। शहर की सौ से ज्यादा छोटी-बड़ी मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हुई। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में लगने वाले बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई। रेती, नखास, शाहमारुफ और जाफरा बाजार में सेहरी व इफ्तार के सामानों से दुकानें भी सज गई हैं।
रमजान शुरू होने पर लोगों के चेहरे खिल उठे और एक दूसरे को मुबारकबाद देकर खुशी का इजहार किया। जो लोग दूर थे उन्हें मोबाइल पर मैसेज करके मुबारकबाद दी गई। हदीस में फरमाया गया है कि रमजान मोहम्मद साहब की उम्मत का महीना है। इस माह में रोजा रखने वालों को बेहिसाब सवाब मिलता है। जो शख्स शिद्दत के साथ अल्लाह की इबादत और कलाम पाक की तिलावत करेगा उसके गुनाह ऐसे धुल जाएंगे जैसे साफ पानी में गंदा पकड़ा धुल जाता है।
यह कहा जाता है कि रोजे रखने वाला मुसलमान कयामत के दिन अल्लाह के नेक बंदों के रूप में पहचाने जाएंगे। मुफ्ती मौलाना वलीउल्लाह ने बताया कि यह महीना इंसानी शैतानियत को काबू में करने का सबसे बेहतरीन वक्त होता है। पूरे साल गुनाह करने वाले इंसान के मन में भी रमजान के दिनों में यह ख्याल बना रहता है कि उसे अपने किये कामों का खुदा को जवाब देना है। यानी रमजान मुबारक गुनाहों को न करने की नसीहत देकर इंसान को अपने आचरण और चरित्र में सुधार करने का मौका देता है। साथ ही भूखे की भूख एवं प्यासे की प्यास को जानने व समझने की नसीहत देकर इंसानी फर्ज की याद दिलाता है। बुधवार की शाम से ही मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ गई है। क्या बच्चा, क्या बूढ़ा और क्या जवान सभी मग्रिब एशा व तरावीह की नमाज पढ़ने मसजिद की तरफ भागे। रमजान में पांच वक्त की नमाज के अलावा एशा की नमाज के साथ 20 रकअत नमाज तरावीह के तौर पर अदा करना फर्ज है। शहर के 100 से ज्यादा मसजिदों और मदरसों में तरावीह की नमाज शुरू हुई। एक सप्ताह से लेकर 27 दिनों तक की तरावीह की नमाज पढ़ी जाएगी।