गोरखपुर। इंसेफेलाइटिस ने दस्तक दे दी लेकिन इस बीमारी से निपटने को अस्पतालों की व्यवस्था अभी भी दुरुस्त नहीं हो पाई है। मेडिकल कॉलेज समेत जिले अस्पतालों में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है। जिला अस्पताल के इंसेफेलाइटिस वार्ड में पीडियाट्रिक वेंटिलेटर सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाई है।
इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में 50 डॉक्टरों की डिमांड शासन को भेजी गई है। 100 बेड का निर्माणाधीन इंसेफेलाइटिस वार्ड का अभी तक निर्माण पूरा नहीं हो सका है। मेडिकल कॉलेज में नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी है। जिला अस्पताल में पांच डॉक्टरों की टीम तो बना दी गई है लेकिन यहां भी इंसेफेलाइटिस वार्ड में स्टाफ की कमी है। चार स्टाफ नर्स, चार वार्ड ब्वाय और 12 पीडियाट्रिक वेंटिलेटर की डिमांड शासन से की गई है। अभी तक इनकी पूर्ति नहीं की गई है। इंसेफेलाइटिस के बच्चों के लिए जिला अस्पताल का आईसीयू की सुविधा बहाल नहीं हो सकी है। इसके अलावा जिले के कई सीएचसी और पीएचसी में बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं की जा सकी है। जबकि इंसेफेलाइटिस के मरीजों के इलाज के लिए बालरोग विशेषज्ञ का होना जरूरी है। बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती नहीं होने से इंसेफेलाइटिस के मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. केपी कुशवाहा ने बताया कि डॉक्टरों और स्टाफ की कमी दूर करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। जुलाई के अंत तक डॉक्टरों की तैनाती की उम्मीद है। सीएमओ डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि सीएचसी और पीएचसी पर बालरोग विशेषज्ञ के रिक्त पदों को भरने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। जिला अस्पताल में आईसीयू की सेवा जुलाई के अंत तक बहाल हो जाएगी।
इंसेफेलाइटिस के दो मरीज भर्ती
गोरखपुर। मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस से पीड़ित दो बच्चे भर्ती कराए गए हैं। एक बच्चा गोरखपुर और एक बस्ती का है। मेडिकल कॉलेज में इस साल अब तक इंसेफेलाइटिस के 229 मरीज भर्ती कराए गए हैं। उनमें से 74 बच्चों की मौत हो चुकी है। वर्तमान समय में इंसेफेलाइटिस वार्ड में 10 बच्चों का इलाज किया जा रहा है।
गोरखपुर। इंसेफेलाइटिस ने दस्तक दे दी लेकिन इस बीमारी से निपटने को अस्पतालों की व्यवस्था अभी भी दुरुस्त नहीं हो पाई है। मेडिकल कॉलेज समेत जिले अस्पतालों में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है। जिला अस्पताल के इंसेफेलाइटिस वार्ड में पीडियाट्रिक वेंटिलेटर सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाई है।
इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में 50 डॉक्टरों की डिमांड शासन को भेजी गई है। 100 बेड का निर्माणाधीन इंसेफेलाइटिस वार्ड का अभी तक निर्माण पूरा नहीं हो सका है। मेडिकल कॉलेज में नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी है। जिला अस्पताल में पांच डॉक्टरों की टीम तो बना दी गई है लेकिन यहां भी इंसेफेलाइटिस वार्ड में स्टाफ की कमी है। चार स्टाफ नर्स, चार वार्ड ब्वाय और 12 पीडियाट्रिक वेंटिलेटर की डिमांड शासन से की गई है। अभी तक इनकी पूर्ति नहीं की गई है। इंसेफेलाइटिस के बच्चों के लिए जिला अस्पताल का आईसीयू की सुविधा बहाल नहीं हो सकी है। इसके अलावा जिले के कई सीएचसी और पीएचसी में बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं की जा सकी है। जबकि इंसेफेलाइटिस के मरीजों के इलाज के लिए बालरोग विशेषज्ञ का होना जरूरी है। बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती नहीं होने से इंसेफेलाइटिस के मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. केपी कुशवाहा ने बताया कि डॉक्टरों और स्टाफ की कमी दूर करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। जुलाई के अंत तक डॉक्टरों की तैनाती की उम्मीद है। सीएमओ डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि सीएचसी और पीएचसी पर बालरोग विशेषज्ञ के रिक्त पदों को भरने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। जिला अस्पताल में आईसीयू की सेवा जुलाई के अंत तक बहाल हो जाएगी।
इंसेफेलाइटिस के दो मरीज भर्ती
गोरखपुर। मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस से पीड़ित दो बच्चे भर्ती कराए गए हैं। एक बच्चा गोरखपुर और एक बस्ती का है। मेडिकल कॉलेज में इस साल अब तक इंसेफेलाइटिस के 229 मरीज भर्ती कराए गए हैं। उनमें से 74 बच्चों की मौत हो चुकी है। वर्तमान समय में इंसेफेलाइटिस वार्ड में 10 बच्चों का इलाज किया जा रहा है।