बलरामपुर। 452 वर्ग किमी. में फैले सोहेलवा संरक्षित वन्य क्षेत्र की निगरानी अब भूतपूर्व सैनिकों के जिम्मे रहेगी। ये अवैध कटान और जीवों के शिकार पर लगाम लगाएंगे, जिससे प्राकृतिक संपदा को बचाया जा सके। पहले चरण में 12 शस्त्र लाइसेंस धारक भूतपूर्व सैनिक तैनात होंगे। तैनाती की प्रक्रिया 15 अगस्त तक पूरी कर ली जाएगी।
जनपद की करीब 82 किमी. खुली नेपाल सीमा पर 452 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में सोहेलवा संरक्षित वन्य क्षेत्र है। यह क्षेत्र जैव विविधता के मामले में काफी समृद्ध है। यहां की जलवायु रायल बंगाल टाइगर के लिए काफी उपयुक्त है, इसलिए इसे रायल बंगाल टाइगर का प्राकृतवास भी कहा जाता है। वानस्पतिक रूप से भी यह क्षेत्र समृद्ध है। यहां साखू, सागौन, शीशम जैसी बहुमूल्य लकड़ियों के अलावा तमाम प्रकार की जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं। लेकिन इस क्षेत्र में माफिया तथा शिकारी काफी सक्रिय है। इस कारण आए दिन अवैध कटान और जीवों के शिकार के मामले सामने आते हैं। वन विभाग ने अब इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पहल की है। पूरे क्षेत्र के विभिन्न रेंजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भूतपूर्व सैनिकों के हवाले करने की तैयारी है। पहले चरण में 12 भूतपूर्व सैनिक तैनात किए जाएंगे। उन्हीं सैनिकों का चयन होगा जिनके पास खुद का शस्त्र लाइसेंस होगा। फिलहाल, वन विभाग ने जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी को पत्र लिखकर भूतपूर्व सैनिकों की सूची मांगी है।
बलरामपुर। 452 वर्ग किमी. में फैले सोहेलवा संरक्षित वन्य क्षेत्र की निगरानी अब भूतपूर्व सैनिकों के जिम्मे रहेगी। ये अवैध कटान और जीवों के शिकार पर लगाम लगाएंगे, जिससे प्राकृतिक संपदा को बचाया जा सके। पहले चरण में 12 शस्त्र लाइसेंस धारक भूतपूर्व सैनिक तैनात होंगे। तैनाती की प्रक्रिया 15 अगस्त तक पूरी कर ली जाएगी।
जनपद की करीब 82 किमी. खुली नेपाल सीमा पर 452 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में सोहेलवा संरक्षित वन्य क्षेत्र है। यह क्षेत्र जैव विविधता के मामले में काफी समृद्ध है। यहां की जलवायु रायल बंगाल टाइगर के लिए काफी उपयुक्त है, इसलिए इसे रायल बंगाल टाइगर का प्राकृतवास भी कहा जाता है। वानस्पतिक रूप से भी यह क्षेत्र समृद्ध है। यहां साखू, सागौन, शीशम जैसी बहुमूल्य लकड़ियों के अलावा तमाम प्रकार की जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं। लेकिन इस क्षेत्र में माफिया तथा शिकारी काफी सक्रिय है। इस कारण आए दिन अवैध कटान और जीवों के शिकार के मामले सामने आते हैं। वन विभाग ने अब इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पहल की है। पूरे क्षेत्र के विभिन्न रेंजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भूतपूर्व सैनिकों के हवाले करने की तैयारी है। पहले चरण में 12 भूतपूर्व सैनिक तैनात किए जाएंगे। उन्हीं सैनिकों का चयन होगा जिनके पास खुद का शस्त्र लाइसेंस होगा। फिलहाल, वन विभाग ने जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी को पत्र लिखकर भूतपूर्व सैनिकों की सूची मांगी है।