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गाजीपुर। ठंड का प्रभाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके कहर से आम जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। लाख जतन करने के बाद भी ठंड से राहत नहीं मिल पा रही है। शुक्रवार को भी दोपहर तक घने कोहरे की चादर तनी रही। इससे एक तरफ जहां लोग गलन के बीच ठिठुरते रहे, वहीं मार्गों पर वाहन रेंगते नजर आए। पूरे दिन बदली जैसा मौसम बना रहा।
पिछले पांच दिनों से ठंड अपना कहर बरपा रही है। आम लोगों की कौन कहे, खास भी इसके प्रभावित होकर इससे मुकाबला करने के लिए तरह-तरह का जतन कर रहे हैं। रात साढ़े आठ के बाद पुन: घने कोहरे का प्रभाव शुरू हो जा रहा है। आलम यह हो रहा कि दस कदम की दूरी तक लोगों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। छोटे हो या बड़े वाहन, सभी को चींटी की चाल चलना पड़ रहा है। खुले आसमन के नीचे थोड़ा देर तक खड़े रहने पर लोगों के कपड़े भी भीग जा रहे हैं। शुक्रवार को दोपहर एक बजे तक कोहरे की चादर तनी रही। एक बजे के बाद धूप तो जरूर निकली, लेकिन उसका प्रभाव ठंड से कांप रहे लोगों पर थोड़ा भी नहीं पड़ा। सर्द हवाओं ने लोगों को निराश कर दिया। बर्फीली हवाओं के आगे सूर्यदेव का ताप भी पूरी तरह से ठंडा हो गया। ठंड की वजह से रात नौ बजे तक गुलजार रहने वाले मार्गों पर सात बजे ही सन्नाटा पसर जा रहा है। लोग अपने घरों में दुबक जा रहे हैं। मौसम की बेरुखी अब लोगों के समझ से परे होने लगी है। एक सप्ताह पहले मौसम में अचानक परिवर्तन हो गया था। तीखी धूप खिलने से ठंड काफी हद तक कम हो गई थी। लोग आशा व्यक्त कर रहे थे कि अब उन्हें ठंड से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन इसी बीच बारिश होने से पुन: ठंड ने पांव पसार लिया। पिछले पांच दिनों से इसके प्रभाव से हर कोई कांपता नजर आ रहा है।
गाजीपुर। ठंड का प्रभाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके कहर से आम जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। लाख जतन करने के बाद भी ठंड से राहत नहीं मिल पा रही है। शुक्रवार को भी दोपहर तक घने कोहरे की चादर तनी रही। इससे एक तरफ जहां लोग गलन के बीच ठिठुरते रहे, वहीं मार्गों पर वाहन रेंगते नजर आए। पूरे दिन बदली जैसा मौसम बना रहा।
पिछले पांच दिनों से ठंड अपना कहर बरपा रही है। आम लोगों की कौन कहे, खास भी इसके प्रभावित होकर इससे मुकाबला करने के लिए तरह-तरह का जतन कर रहे हैं। रात साढ़े आठ के बाद पुन: घने कोहरे का प्रभाव शुरू हो जा रहा है। आलम यह हो रहा कि दस कदम की दूरी तक लोगों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। छोटे हो या बड़े वाहन, सभी को चींटी की चाल चलना पड़ रहा है। खुले आसमन के नीचे थोड़ा देर तक खड़े रहने पर लोगों के कपड़े भी भीग जा रहे हैं। शुक्रवार को दोपहर एक बजे तक कोहरे की चादर तनी रही। एक बजे के बाद धूप तो जरूर निकली, लेकिन उसका प्रभाव ठंड से कांप रहे लोगों पर थोड़ा भी नहीं पड़ा। सर्द हवाओं ने लोगों को निराश कर दिया। बर्फीली हवाओं के आगे सूर्यदेव का ताप भी पूरी तरह से ठंडा हो गया। ठंड की वजह से रात नौ बजे तक गुलजार रहने वाले मार्गों पर सात बजे ही सन्नाटा पसर जा रहा है। लोग अपने घरों में दुबक जा रहे हैं। मौसम की बेरुखी अब लोगों के समझ से परे होने लगी है। एक सप्ताह पहले मौसम में अचानक परिवर्तन हो गया था। तीखी धूप खिलने से ठंड काफी हद तक कम हो गई थी। लोग आशा व्यक्त कर रहे थे कि अब उन्हें ठंड से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन इसी बीच बारिश होने से पुन: ठंड ने पांव पसार लिया। पिछले पांच दिनों से इसके प्रभाव से हर कोई कांपता नजर आ रहा है।