गाजीपुर। जिले के प्राथमिक विद्यालयों पर तैनात शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने की राह में कई दिक्कत आड़े आएंगी। सैकड़ों शिक्षामित्रों ने फर्जी अंकपत्र के आधार पर नौकरी हथिया ली है। अब उनकी धीरे-धीरे पोल खुल रही है। अब तक बारह से अधिक शिक्षामित्र बर्खास्त हो चुके हैं। यही नहीं डीएम ने भी दस शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिए बोर्ड को पत्र लिखा है। वहीं शासन ने साफ कहा है कि जब तक शिक्षामित्रों का सत्यापन नहीं हो जाता है, तब उन्हें शिक्षक के रूप में स्वीकार न किया जाए।
बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के शासनकाल में प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख 76 हजार शिक्षामित्रों को संविदा के आधार पर वर्ष 2004 से 2006 के बीच तैनात किया गया था। जबकि जिले में तीन हजार से अधिक शिक्षामित्रों की तैनाती हुई है। इन शिक्षामित्रों का हर वर्ष नवीनीकरण भी होता था, लेकिन बाद में विरोध के चलते नवीनीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। शिक्षामित्रों का आरोप था कि ग्राम शिक्षा समितियां शोषण करती हैं। जिससे शिक्षामित्रों का नुकसान होता है। बसपा शासनकाल में इन शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने की घोषण की गई। इस समय एक लाख 36 हजार शिक्षामित्र संबंधित डायट में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इसमें गाजीपुर में पहले चरण के दौरान 1190 शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण शुरू किया गया। इसके बाद कहा गया है कि जितने शिक्षामित्र बीए किए हैं उनको प्रशिक्षित किया जाएगा। इधर प्रशिक्षण के समय ही बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों में आदेश जारी कर कहा कि प्रशिक्षण से पहले सभी शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच करा ली जाए। देखा जाए तो बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से किसी भी शिक्षामित्र के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच करने के लिए बोर्ड को पत्र नहीं भेजा गया है। बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर सत्यापन हुआ तो आधे से अधिक शिक्षामित्रों की नौकरी खतरे में पड़ेगी।
जिस समय शिक्षामित्रों का चयन हुआ था उस समय हाई मेरिट दिखाकर चयन कर लिया गया था। अभी डीएम भी कई शिक्षामित्रों को फर्जी अंक पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोेप में बर्खास्त कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि बेसिक शिक्षा अधिकारी को सत्यापन कराने को कहा गया है। वह भी अपने स्तर से शिक्षामित्रों की विशेष जांच पड़ताल कर रहे हैं।
गाजीपुर। जिले के प्राथमिक विद्यालयों पर तैनात शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने की राह में कई दिक्कत आड़े आएंगी। सैकड़ों शिक्षामित्रों ने फर्जी अंकपत्र के आधार पर नौकरी हथिया ली है। अब उनकी धीरे-धीरे पोल खुल रही है। अब तक बारह से अधिक शिक्षामित्र बर्खास्त हो चुके हैं। यही नहीं डीएम ने भी दस शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिए बोर्ड को पत्र लिखा है। वहीं शासन ने साफ कहा है कि जब तक शिक्षामित्रों का सत्यापन नहीं हो जाता है, तब उन्हें शिक्षक के रूप में स्वीकार न किया जाए।
बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के शासनकाल में प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख 76 हजार शिक्षामित्रों को संविदा के आधार पर वर्ष 2004 से 2006 के बीच तैनात किया गया था। जबकि जिले में तीन हजार से अधिक शिक्षामित्रों की तैनाती हुई है। इन शिक्षामित्रों का हर वर्ष नवीनीकरण भी होता था, लेकिन बाद में विरोध के चलते नवीनीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। शिक्षामित्रों का आरोप था कि ग्राम शिक्षा समितियां शोषण करती हैं। जिससे शिक्षामित्रों का नुकसान होता है। बसपा शासनकाल में इन शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाने की घोषण की गई। इस समय एक लाख 36 हजार शिक्षामित्र संबंधित डायट में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इसमें गाजीपुर में पहले चरण के दौरान 1190 शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण शुरू किया गया। इसके बाद कहा गया है कि जितने शिक्षामित्र बीए किए हैं उनको प्रशिक्षित किया जाएगा। इधर प्रशिक्षण के समय ही बेसिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों में आदेश जारी कर कहा कि प्रशिक्षण से पहले सभी शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों की जांच करा ली जाए। देखा जाए तो बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से किसी भी शिक्षामित्र के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच करने के लिए बोर्ड को पत्र नहीं भेजा गया है। बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगर सत्यापन हुआ तो आधे से अधिक शिक्षामित्रों की नौकरी खतरे में पड़ेगी।
जिस समय शिक्षामित्रों का चयन हुआ था उस समय हाई मेरिट दिखाकर चयन कर लिया गया था। अभी डीएम भी कई शिक्षामित्रों को फर्जी अंक पत्र के आधार पर नौकरी करने के आरोेप में बर्खास्त कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि बेसिक शिक्षा अधिकारी को सत्यापन कराने को कहा गया है। वह भी अपने स्तर से शिक्षामित्रों की विशेष जांच पड़ताल कर रहे हैं।