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वादी का बयान लिए बिना लगा दी अंितम रिपोर्ट
Ghazipur
Updated Sun, 03 Jun 2012 12:00 PM IST
गाजीपुर। धोखाधड़ी सहित कई अन्य मामलों के आरोपितों सेे सांठगांठ या फिर विवेचक की घोर लापरवाही। मुकदमे के वादी का बयान लिए बिना ही विवेचक ने आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए एफआर (अंतिम रिपोर्ट) लगा दी। इस पर वादी द्वारा दिए गए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एफआर को निरस्त करते हुए थानाध्यक्ष नोनहरा को मामले की दोबारा विवेचना कर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
अदालत को दिए गए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र में वादी मुकदमा नोनहरा थाना क्षेत्र के विशुनपुर दत्ता गांव निवासी शिव प्रताप पांडेय ने कहा था कि बीते 26 जुलाई वर्ष 2009 में उसके द्वारा नोनहरा थाने में धारा 147, 399, 506, 419, 420, 379 भादवि के तहत कुल 27 नामजद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें सुरेंद्र कुमार, लालजी यादव, उदय प्रताप, दीपक सिंह, गजाधर सिंह, अनिल कुमार, सुनील कुमार, राकेश सिंह, बृज नारायण, संकठा सिंह, रामायण यादव, रामजनम यादव, जीएन यादव, अवधेश यादव, प्रभु यादव, संतोष उर्फ गोलू, अशोक आदि का नाम शामिल था। वादी का आरोप था कि मुकदमे के विवेचक द्वारा इस मामले में न तो वादी का बयान लिया गया और न ही उसकी पत्नी और अन्य गवाहों का। साक्ष्य के संकलन में विवेचक द्वारा घोर लापरवाही बरती गई। बावजूद इसके थाने पर ही बैठकर आरोपियों को बचाने के लिए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह कहते हुए कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तथा उच्च न्यायालय की उपरोक्त विधि व्यवस्था के आलोक में अतिरिक्त साक्ष्य संकलन हेतु अग्रिम विवेचना कराया जाना न्यायोचित है। इसलिए एफआर निरस्त कर अदालत ने थानाध्यक्ष नोनहरा को अग्रिम विवेचना कर उसकी आख्या कोर्ट में प्रस्तुत करते हुए इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।
गाजीपुर। धोखाधड़ी सहित कई अन्य मामलों के आरोपितों सेे सांठगांठ या फिर विवेचक की घोर लापरवाही। मुकदमे के वादी का बयान लिए बिना ही विवेचक ने आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए एफआर (अंतिम रिपोर्ट) लगा दी। इस पर वादी द्वारा दिए गए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एफआर को निरस्त करते हुए थानाध्यक्ष नोनहरा को मामले की दोबारा विवेचना कर आख्या प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
अदालत को दिए गए प्रोटेस्ट प्रार्थना पत्र में वादी मुकदमा नोनहरा थाना क्षेत्र के विशुनपुर दत्ता गांव निवासी शिव प्रताप पांडेय ने कहा था कि बीते 26 जुलाई वर्ष 2009 में उसके द्वारा नोनहरा थाने में धारा 147, 399, 506, 419, 420, 379 भादवि के तहत कुल 27 नामजद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें सुरेंद्र कुमार, लालजी यादव, उदय प्रताप, दीपक सिंह, गजाधर सिंह, अनिल कुमार, सुनील कुमार, राकेश सिंह, बृज नारायण, संकठा सिंह, रामायण यादव, रामजनम यादव, जीएन यादव, अवधेश यादव, प्रभु यादव, संतोष उर्फ गोलू, अशोक आदि का नाम शामिल था। वादी का आरोप था कि मुकदमे के विवेचक द्वारा इस मामले में न तो वादी का बयान लिया गया और न ही उसकी पत्नी और अन्य गवाहों का। साक्ष्य के संकलन में विवेचक द्वारा घोर लापरवाही बरती गई। बावजूद इसके थाने पर ही बैठकर आरोपियों को बचाने के लिए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह कहते हुए कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तथा उच्च न्यायालय की उपरोक्त विधि व्यवस्था के आलोक में अतिरिक्त साक्ष्य संकलन हेतु अग्रिम विवेचना कराया जाना न्यायोचित है। इसलिए एफआर निरस्त कर अदालत ने थानाध्यक्ष नोनहरा को अग्रिम विवेचना कर उसकी आख्या कोर्ट में प्रस्तुत करते हुए इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।