गाजीपुर। जिले में सक्रिय वाहन चोरों ने वर्ष के पांच माह में ही पिछले तीन वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया है। एक जनवरी 2012 से 15 मई तक जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से कुल 39 वाहनों पर चोरों ने अपना हाथ साफ कर दिया जबकि वर्ष 2011 में सात तथा वर्ष 2010 में महज नौ वाहन ही जिले सेे चोरी हुए थे। यह आंकड़ा पुलिस रिकार्ड में दर्ज है जबकि इससे अधिक वाहन चोरी हुए हैं लेकिन ऐसे तमाम पीड़ित रहे हैं, अपराध का ग्राफ कम दर्शाने के लिए पुलिस ने उनका मुकदमा ही नहीं दर्ज किया। इसके लिए कई पीड़ित पुलिस पर आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों से शिकायत भी दर्ज करा चुके हैं।
पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद जिले में वाहन चोरी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सबसे अधिक वाहन चोरी सदर कोतवाली के गोराबाजार क्षेत्र में होती है। कचहरी, अर्बन बैंक, विकास भवन, लंका मैदान, रौजा क्षेत्र वाहन चोरों का गढ़ बन गया है। इन क्षेत्रों से आए दिन वाहन चोरी होते हैं। अलावा इसके देहात क्षेत्रों में बैंकों के पास से वाहन चोरी होते हैं। इस गैंग में शामिल सदस्य दोपहिया वाहनों के साथ ही चौपहिया वाहन भी चुराने लगे हैं। हालांकि पुलिस वाहन चोर गैंग से जुड़े कई सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से चोरी के कई वाहन भी बरामद कर चुकी है। आईजी जोन ब्रजभूषण शर्मा तथा पुलिस उप महानिरीक्षक वाराणसी परिक्षेत्र कार्यालय में तैयार किए गए तीन वर्ष में अपराधों की तुलनात्मक रिपोर्ट में जहां वाहन चोरों की नकेल कसने में पुलिस की नाकामी साफ उजागर होती देखी जा सकती है, वहीं जिले में वाहन चोरों के हौंसले कितने बुलंद हैं। रिकार्ड पर गौर करें तो वर्ष 2010 में जिले के 23 थाना क्षेत्रों से सिर्फ नौ वाहन चोरी हुए जबकि वर्ष 2011 में यह आंकड़ा सात पर ही जा कर थम गया। वर्ष 2012 मेें एक जनवरी से 15 मई 2012 तक जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों सेे कुल 39 वाहन चोरी हुए। पुलिस का यह रिकार्ड चोरी की घटित वारदातों के लिहाज से कम है।