गाजीपुर। लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक में भले ही सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अफसरों को राजनीतिक दबाव में काम नहीं करने की बात कही हो लेकिन धरातल पर राजनीतिक दबाव ही सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने की राह में रोड़ा बनता नजर आ रहा है। छोटे-छोटे मामलों में इस कदर जोरदार पैरवी की जा रही है जिससे अधिकारी काफी पसोपेश में हैं।
शासन प्रशासन पर सत्ता पक्ष का दबाव कोई नई बात नहीं है लेकिन लीक से हटकर दबाव बनाए जाने पर व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगते हैं। इसकी भनक लगने पर ही पिछले 18 मई को लखनऊ में आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री को तल्ख तेवर में यह बात दोहरानी पड़ी थी कि कोई भी अफसर राजनीतिक दबाव में काम नहीं करेगा। उचित मामले में उचित कदम ही उठाए जाएं, ताकि सरकार जनाकांक्षाओं पर खरी उतर सके। मुख्यमंत्री का यह संदेश लेकर जब अफसर अपने-अपने जिले में आए तो एक बारगी वह कूल-कूल दिखे लेकिन अगले दिन से ही उनके चेहरेे की हवाइयां तब उड़नी शुरू हो गईं जब उनके समक्ष पैरवी करने वाले नेताओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। अब कोई प्रार्थना पत्र लेकर तो कोई टेलीफोन पर, अफसरों पर पहले की ही तरह दबाव बना रहा है। बुधवार को पुलिस तथा कई प्रशासनिक अफसरों के दफ्तरों में कुछ ऐसा ही नजारा देखने और सुनने को मिला तो अफसर भी अपना माथा पीटते दिखे। दबी जुबान पुलिस अधिकारी भी इस बात को कह रहे हैं। उनका कहना है कि दबाव में कोई गलत काम नहीं किया जा सकता।