गाजीपुर। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज कुमार सिंह की अदालत ने जीआरपी पुलिस चौकी औड़िहार क्षेत्र में हुए एक दहेज हत्या के मामले में मृतका के शरीर से खून से सना कपड़ा आदि के गबन मामले में आरोपी सिपाही को पांच वर्ष के सश्रम कारावास और ढाई हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अभियोजन के अनुसार जीआरपी पुलिस चौकी औड़िहार के उप निरीक्षक सुभोदय ओझा ने तहरीर देकर रिपोर्ट दर्ज कराई कि दहेज हत्या का मामला स्टेट बनाम हरिलाल आदि से संबंधित मृतका का खून से सना कपड़ा जो पोस्टमार्टम के समय प्राप्त हुआ था, उसे अदालत ने तलब किया था, जिसकी खोजबीन वह मालखाने में किया लेकिन वह नहीं मिला। पता करने पर मालूम हुआ कि पकड़े आदि को आठ मई 1989 को कांस्टेबिल रमेश राम और रामलगन यादव ने चौकी औड़िहार में जमा किया था तथा 16 मई 1989 को तत्कालीन कांस्टेबिल सिद्धू प्रसाद गौतम ने साड़ी कपड़े आदि मालखाना से निकाल कर मृतका के भाई राजेंद्र पुत्र देव नारायण को शिनाख्त के लिए निकाला था। इसके बाद कांस्टेबिल मोहर्रिर ने मालखाना में पुन: नहीं रखा और न ही इसका कोई विवरण ही अंकित किया। मुकदमे की पूरी जानकारी हासिल करने पर पता चला कि कांस्टेबिल मोहर्रिर सिद्धू ने बदनीयती से मृतका का कपड़ा गायब कर दिया। तहरीर के आधार पर आरोपी सिपाही के खिलाफ धारा 409 तथा 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से दस गवाहों ने घटना का समर्थन किया। सहायक अभियोजन अधिकारी बृजेश कुमार जायसवाल तथा आरोपी के अधिवक्ता की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी सिपाही उपरोक्त सजा सुनाई।