गाजीपुर। पूर्व बीएसए वीपी सिंह के कार्यकाल में एक भी बीएड शिक्षक फर्जी नहीं पाया गया। शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन के नाम पर डीलिंग होती रही। यही नहीं वह अपने आवास पर बीएड शिक्षकों की पत्रावली रख कर सत्यापन के नाम पर अपना उल्लू सीधा करते रहे। इसका खुलासा तब हुआ जब नए बीएसए राकेश सिंह ने बीएड शिक्षकों की पत्रावलियों को तलब किया। अभी तक यह पत्रावली विभाग के पटल सहायक के पास नहीं बताई जा रही हैं। इसको लेकर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
जिले के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए वर्ष 2006 में आठ सौ से अधिक बीएड शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इस नियुक्ति में बड़े पैमाने पर खेल हुआ था। अधिकांश शिक्षकों का प्रमाण पत्र जब सत्यापित कराया गया था तो चार दर्जन से अधिक शिक्षक फर्जी पाए गए थे। यहां पर पूर्व बीएसए रहे भाष्कर मिश्रा और ओपी राय ने फर्जी शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाया था। जब तीन वर्ष पूर्व बीएसए के रूप में वीपी सिंह आए तो उन्होंने बीएड शिक्षकों की पत्रावलियों का अवलोकन किया। आश्वासन दिया कि फर्जी बीएड शिक्षकों को बर्खास्त किया जाएगा, लेकिन बाद में उन्होंने बीएड शिक्षकों की पत्रावलियों को अपने आवास पर मंगा लिया। इसके बाद शुरू हुआ सत्यापन के नाम पर गोलमाल करने का दौर। जिन शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था उन्हें फिर से शिक्षक नियुक्त कर दिया गया। सूत्रों की मानें तो बर्खास्त हो चुके लगभग सौ शिक्षकों को सत्यापन के नाम पर बहाल कर दिया गया। उन्होंने सैदपुर और जखनिया ब्लाक के कई दर्जन फर्जी शिक्षकों को बहाल कर लाखों रुपये का वेतन दिलाया है। बीएसए के रूप में चार्ज लेने वाले राकेश सिंह ने सबसे पहले बीएड शिक्षकों की पत्रावली की मांग पटल सहायक से की तो जानकारी हुई कि सभी आठ सौ बीएड शिक्षकों की पत्रावलियां बीएसए आवास पर रखी हुई हैं। उन्होंने तत्काल पत्रावली उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसकी जानकारी देते हुए राकेश सिंह ने बताया कि बीएड की पत्रावली गायब हैं। उन्होंने पटल सहायक को पत्रावली लाने के निर्देश दिए हैं। एक भी पत्रावली गायब मिली तो संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
गाजीपुर। पूर्व बीएसए वीपी सिंह के कार्यकाल में एक भी बीएड शिक्षक फर्जी नहीं पाया गया। शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन के नाम पर डीलिंग होती रही। यही नहीं वह अपने आवास पर बीएड शिक्षकों की पत्रावली रख कर सत्यापन के नाम पर अपना उल्लू सीधा करते रहे। इसका खुलासा तब हुआ जब नए बीएसए राकेश सिंह ने बीएड शिक्षकों की पत्रावलियों को तलब किया। अभी तक यह पत्रावली विभाग के पटल सहायक के पास नहीं बताई जा रही हैं। इसको लेकर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
जिले के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए वर्ष 2006 में आठ सौ से अधिक बीएड शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इस नियुक्ति में बड़े पैमाने पर खेल हुआ था। अधिकांश शिक्षकों का प्रमाण पत्र जब सत्यापित कराया गया था तो चार दर्जन से अधिक शिक्षक फर्जी पाए गए थे। यहां पर पूर्व बीएसए रहे भाष्कर मिश्रा और ओपी राय ने फर्जी शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाया था। जब तीन वर्ष पूर्व बीएसए के रूप में वीपी सिंह आए तो उन्होंने बीएड शिक्षकों की पत्रावलियों का अवलोकन किया। आश्वासन दिया कि फर्जी बीएड शिक्षकों को बर्खास्त किया जाएगा, लेकिन बाद में उन्होंने बीएड शिक्षकों की पत्रावलियों को अपने आवास पर मंगा लिया। इसके बाद शुरू हुआ सत्यापन के नाम पर गोलमाल करने का दौर। जिन शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था उन्हें फिर से शिक्षक नियुक्त कर दिया गया। सूत्रों की मानें तो बर्खास्त हो चुके लगभग सौ शिक्षकों को सत्यापन के नाम पर बहाल कर दिया गया। उन्होंने सैदपुर और जखनिया ब्लाक के कई दर्जन फर्जी शिक्षकों को बहाल कर लाखों रुपये का वेतन दिलाया है। बीएसए के रूप में चार्ज लेने वाले राकेश सिंह ने सबसे पहले बीएड शिक्षकों की पत्रावली की मांग पटल सहायक से की तो जानकारी हुई कि सभी आठ सौ बीएड शिक्षकों की पत्रावलियां बीएसए आवास पर रखी हुई हैं। उन्होंने तत्काल पत्रावली उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसकी जानकारी देते हुए राकेश सिंह ने बताया कि बीएड की पत्रावली गायब हैं। उन्होंने पटल सहायक को पत्रावली लाने के निर्देश दिए हैं। एक भी पत्रावली गायब मिली तो संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।