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गंगा निर्मलीकरण को बनाया जाए कानून
Ghazipur
Updated Thu, 17 May 2012 12:00 PM IST
गाजीपुर। गंगा सेवा अभियानम् गाजीपुर इकाई की बैठक रवींद्रपुरी स्थित डा. रमाशंकर सिंह के आवास पर हुई। इसमें साधु-संतों के आमरण अनशन, गंगा के प्रति सामान्य जनों की संवेदना एवं सरकारी-गैर सरकारी संगठनों के प्रयास पर विस्तार से चर्चा हुई।
बैठक में अध्यक्ष डा. रमाशंकर सिंह ने कहा कि वर्षा जल के अधिकतम संचयन एवं गंगा नदी के बाढ़ के पानी को अनुपयोगी भूमि एवं तालाबों में संचित करने से भू-जल स्तर बढ़ेगा, जो ग्रीष्मकाल में गंगा में अविरल प्रवाह में सहायक होगा। यही नहीं संचित जल के उपयोग से सिंचाई के लिए पंप कैनाल का भी कम प्रयोग करना पड़ेगा, जिससे गंगा में अविरल प्रवाह के साथ ऊर्जा संरक्षण भी संभव होगा। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश राय ने एक कार्टून प्रस्तुत कर प्रधानमंत्री से निवेदन किया कि वे एक कानून बना कर गंगा के अविरल प्रवाह एवं निर्मल जल की उपलब्धता के लिए सार्थक पहल करें। इससे गंगा के नाम पर पैसा हड़पने वालों एवं झूठी प्रतिष्ठा प्राप्त करने वालों पर अंकुश लगेगा। उन्होंने खाली जमीनों एवं प्रत्येक घर में पेड़-पौधे लगाने की अपील की। डा. केपी तिवारी ने 10 मई को गंगा तट पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी एवं साध्वी लक्ष्मीमणि शास्त्री के नेतृत्व में जिले में जिले में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं एवं जनपदवासियों द्वारा मानव शृंखला बनाने एवं गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का संकल्प लेने को ऐतिहासिक प्रयास बताया। बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों, कर्मचारियों,वकीलों,माताओं-बहनों के प्रति आभार जताया।
उन्होंने अपील किया कि मां गंगा के लिए गंगा दशहरा पर अधिक से अधिक संख्या में महिलाएं एवं बालिकाएं गंगा तट पर पहुंच कर पूजा-अर्चन करें। डा. प्रमोद कुमार मिश्र ने कहा कि यदि गंगा के निर्मल एवं अविरल प्रवाह के प्रति लोगों में जागरूकता एवं संवेदनशीलता आ जाए तो साधु-संतों द्वारा जल त्याग एवं आमरण अनशन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कहा कि दुर्भाग्यवश हम अपने अस्तित्व से खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना देरी किए गंगा प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षम पर ठोस कार्रवाई हो। बैठक में डा. राघवेंद्र पाठक, राजेश कुमार उपाध्याय, चंद्रलेश कुमार दुबे, रामभद्र पाठक, विश्वमोहन पाठक आदि उपस्थित थे। डा. उमेशचंद्र मिश्र ने लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
गाजीपुर। गंगा सेवा अभियानम् गाजीपुर इकाई की बैठक रवींद्रपुरी स्थित डा. रमाशंकर सिंह के आवास पर हुई। इसमें साधु-संतों के आमरण अनशन, गंगा के प्रति सामान्य जनों की संवेदना एवं सरकारी-गैर सरकारी संगठनों के प्रयास पर विस्तार से चर्चा हुई।
बैठक में अध्यक्ष डा. रमाशंकर सिंह ने कहा कि वर्षा जल के अधिकतम संचयन एवं गंगा नदी के बाढ़ के पानी को अनुपयोगी भूमि एवं तालाबों में संचित करने से भू-जल स्तर बढ़ेगा, जो ग्रीष्मकाल में गंगा में अविरल प्रवाह में सहायक होगा। यही नहीं संचित जल के उपयोग से सिंचाई के लिए पंप कैनाल का भी कम प्रयोग करना पड़ेगा, जिससे गंगा में अविरल प्रवाह के साथ ऊर्जा संरक्षण भी संभव होगा। सामाजिक कार्यकर्ता रमेश राय ने एक कार्टून प्रस्तुत कर प्रधानमंत्री से निवेदन किया कि वे एक कानून बना कर गंगा के अविरल प्रवाह एवं निर्मल जल की उपलब्धता के लिए सार्थक पहल करें। इससे गंगा के नाम पर पैसा हड़पने वालों एवं झूठी प्रतिष्ठा प्राप्त करने वालों पर अंकुश लगेगा। उन्होंने खाली जमीनों एवं प्रत्येक घर में पेड़-पौधे लगाने की अपील की। डा. केपी तिवारी ने 10 मई को गंगा तट पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी एवं साध्वी लक्ष्मीमणि शास्त्री के नेतृत्व में जिले में जिले में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं एवं जनपदवासियों द्वारा मानव शृंखला बनाने एवं गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का संकल्प लेने को ऐतिहासिक प्रयास बताया। बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों, कर्मचारियों,वकीलों,माताओं-बहनों के प्रति आभार जताया।
उन्होंने अपील किया कि मां गंगा के लिए गंगा दशहरा पर अधिक से अधिक संख्या में महिलाएं एवं बालिकाएं गंगा तट पर पहुंच कर पूजा-अर्चन करें। डा. प्रमोद कुमार मिश्र ने कहा कि यदि गंगा के निर्मल एवं अविरल प्रवाह के प्रति लोगों में जागरूकता एवं संवेदनशीलता आ जाए तो साधु-संतों द्वारा जल त्याग एवं आमरण अनशन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। कहा कि दुर्भाग्यवश हम अपने अस्तित्व से खिलवाड़ कर रहे हैं। बिना देरी किए गंगा प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षम पर ठोस कार्रवाई हो। बैठक में डा. राघवेंद्र पाठक, राजेश कुमार उपाध्याय, चंद्रलेश कुमार दुबे, रामभद्र पाठक, विश्वमोहन पाठक आदि उपस्थित थे। डा. उमेशचंद्र मिश्र ने लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।