गाजीपुर। सदर ब्लाक के मोहांव गांव के निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सत्यब्रत शास्त्री उर्फ शंभूनाथ तिवारी का रविवार को निधन हो गया। वह 100 साल के थे। सोमवार को गाजीपुर के श्मशान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हुअा। मुखाग्नि ज्येष्ठ पुत्र सत्यवीर तिवारी ने दी।
सत्यब्रत शास्त्री ने देश को आजाद कराने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अंग्रेजों के खिलाफ कहीं भी बगावत कर देते थे। आजादी की लड़ाई को लेकर वह कई बार जेल भी गए। 1939 में हैदराबाद में नांदेड़ जेल में करीब डेढ़ साल तक रहे। इस दौरान वह अंग्रेजों की यातनाएं सहते रहे। 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में छेड़े गए करो या मरो के आंदोलन में वह काफी सक्रियता से शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने अंग्रेजों को अपनी वीरता का लोहा भी मनवाया। फैजाबाद में यह अध्यापक के पद पर भी कार्यरत रहे। शनिवार की शाम करीब चार बजे इन्होंने अपने पैतृक आवास पर अंतिम सांस लिया। यह अपने पीछे तीन पुत्र तथा एक पुत्री का भरा पूरा परिवार छोड़ गए है। सोमवार को गांव से शवयात्रा निकाली गई जो शहर के श्मशान घाट पहुंची। वहां उनका राजकीय सम्मान किया गया तथा सलामी दी गई। शहर कोतवाल के नेतृत्व में कई पुलिसकर्मियों ने स्वतंत्रता सेनानी को अंतिम सेल्यूट किया। शव यात्रा में कई पार्टियों के वरिष्ठ नेता, अधिकारी तथा गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।