गाजीपुर। पीजी कालेज मैदान पर 20 अप्रैल से सेना रैली भर्ती की प्रक्रिया आरंभ होगी। पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरे की देखरेख में की जाएगी। इसके मद्देनजर मंगलवार को सेना के कर्नल मनीष धवन ने ग्राउंड का निरीक्षण कर भर्ती की तैयारी के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। कहा, अभ्यर्थियों को निवास प्रमाणपत्र के साथ इस बार आधार कार्ड भी अनिवार्य रूप से लाना होगा।
जिले में अभी से सेना भर्ती की बयार बहने लगी है। सेना में भर्ती होने तथा देश की रक्षा का जज्बा लिए युवा इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं। भर्ती के लिए होने वाले दौड़ में अब उन्हें हरी झंडी मिलने का इंतजार भर है। इस उम्मीद से सड़क की पटरियों के साथ ही खेल मैदान में दौड़ लगा रहे हैं। बीस अप्रैल से पीजी कालेज मैदान में शुरु होने वाली सेना भर्ती को लेकर भाग लेने वाले युवाओं में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। युवा इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के युवा एक तरफ जहां सूर्यअस्त के बाद देर रात तक सड़क की पटरियों और मैदान में दौड़ का अभ्यास कर रहे हैं, वहीं भोर में भी युवाओं के कदमों की आवाज हर क्षेत्र में सुनाई दे रही है।
गहमर संवाददाता के अनुसार, स्थानीय गांव के युवाओं का फिजिकल अच्छा है और हमें देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होना अच्छा लगता है। सेना में ऐसे ही लंबे-चौड़े कद-काठी के युवाओं की जरूरत होती है, जो यहां के युवकों में है। यहां के युवा 1600 मीटर दौड़ की तैयारी करके जाते हैं। यह बातें गहमर के बुलाकी दास मठिया के ग्रांउड में सुबह-शाम सेना भर्ती के तैयारी में लगे युवा बताते हैं। उनका कहना है कि यहां के युवक रोज पांच से आठ किलोमीटर दौड़ की प्रेक्टिस करते हैं, लेकिन गाजीपुर में होने वाली सेना भर्ती के लिए केवल 1600 मीटर की तैयारी ही कर रहे हैं, जिससे यह मालूम रहे कि कैसे दौड़ की बाधा पार करनी है। रोज आठ से दस किलोमीटर दौड़ की तैयारी करने का तरीका गलत है। 1600 मीटर की ही तैयारी करनी चाहिए, जो रोज आठ किलोमीटर भाग रहा है वह दो किलोमीटर से पहले तो जोर ही नहीं लगाएगा और तब तक तो दौड़ पूरी हो जाएगी। 1600 मीटर की तैयारी करेंगे तो यह पता रहेगा कि कौन से चक्कर में पूरा दम लगाना है? शुरुआत के दो चक्कर आराम से पूरे करें। इनमें ज्यादा जोर लगाएंगे तो आखिर में बाहर हो जाएंगे। आखिरी चक्कर में पूरा दमखम लगाएं। कभी भी पूरे पैर पर नहीं भागे। पंजों के बल भागने से अपने आप ऊर्जा मिलती है और सफल होते हैं।
पूरी ईमानदारी से होगी रैली भर्ती : कर्नल
गाजीपुर। सेना के कर्नल मनीष धवन मंगलवार को पीजी कालेज ग्राउंड पर पहुंचे और सेना के जवानों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। कहा कि सेना की रैली भर्ती बिल्कुल पारदर्शी और ईमानदारी से होगी। युवा खुद पर भरोसा रखें, किसी भी दलाल के चक्कर में पड़े। पूरी भर्ती प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरे की देखरेख में होगी। जिससे किसी तरह की गड़बड़ी न हो सके। ग्राउंड में अभ्यास कर रहे युवाओं से मनीष धवन ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पूरी ईमानदारी बरती जाएगी। किसी को बाहरी व्यक्ति के झांसे में आने की जरूरत नहीं है। सेना के जवान अपराह्न करीब चार बज पीजी कालेज ग्राउंड में पहुंचकर भर्ती प्रक्रिया की तैयारी में जुट गए हैं।
(फोटो नंबर)
छुट्टी में आए सेना के जवान कराते हैं भर्ती की तैयारी
15 हजार सेवानिवृत्त, तो इतने फौज में हैं तैनानी
सेना भर्ती में बड़ी संख्या में भाग लेते हैं गहमर के युवा
अमर उजाला ब्यूरो
गहमर। एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर की पहचान सैनिक गांव के रूप में होती है। यहां के युवाओं का रुझान देश सेवा की तरफ होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहां इस गांव में लगभग 15 हजार सैनिक सेवानिवृत्त होकर विभिन्न बैंकों से पेंशन ले रहे हैं, वहीं लगभग इतने ही जवान भारतीय थल सेना में देश के विभिन्न भागों में अपनी सेवा दे रहे हैं। गांव में छुट्टी पर आए सेना के जवान गांव के जवानों के सेना भर्ती की तैयारी कराते हैं।
सेवानिवृत्त फौजी ध्रुव कुमार सिंह ने बताया कि छुट्टी में आने वाले सेना के जवान युवाओं को भर्ती की तैयारी करने के दौरान उन्हें बताते हैं कि भर्ती में दौड़ सबसे पहली बाधा है। फिजिकल में केवल बीम में ही बच्चे बाहर होते हैं। बीम केवल प्रेक्टिस से ही पूरी की जा सकती हैं। प्रेक्टिस के दौरान यह ध्यान रखें कि बीम बिल्कुल सीधे हाथ से निकाले और ठुड्डी को पाइप से टच करें। कई बच्चे बीच में कोहनी मोड़कर प्रेक्टिस करते हैं, जो बाहर हो जाते हैं। बीम के अलावा कोई भी फिजिकल ज्यादा मुश्किल नहीं है। सीने की वजह से काफी युवा बाहर होते है, यह समस्या ज्यादा युवाओं के साथ है। जिनका सीना कम है, वे रोज दौड़ पूरी करने के बाद पुशअप जरूर निकाले। पुशअप ही सीना बढ़ाने का एकमात्र तरीका है। पुशअप के बाद हैवी खाना लें और रेस्ट करें। सीना बढ़ जाएगा। मेडिकल में काफी युवा बाहर होते हैं। हड्डियों में टेढ़ेपन की समस्या है। इसके अलावा फ्लोराइड भी यहां की एक बड़ी समस्या है, जिससे दांत एवं हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, लेेेकिन हम लोग डाक्टर से सलाह लेकर इसकी भी तैयारी करते है। गहमर के बच्चों का फिजिकल अच्छा है और सेेेना को ऐसे ही युवा चाहिए, जो लंबे-चौड़े कद-काठी के हों। इसीलिए यहां के युवाओ को भर्ती मेें मजा आता है। यहां के युवाओं में सेना में जाने का जबरदस्त जोश और जुनून है।
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शहीदी धरती के रूप में है जिले की पहचान
अमर उजाला ब्यूरो
गाजीपुर। लहुरी काशी कहे जाने वाले गाजीपुर जिले के पहचान शहीदी धरती के रूप में भी होती रही है। भारत-पाक, भारत-चीन युद्ध रहा हो या फिर कारगिल की लड़ाई। यहां से वीर सपूत अपने प्राणों की आहुति देकर भारत माता की रक्षा करते हुए जिले का नाम रोशन करते रहे है। जिले के अन्य क्षेत्रों की छोड़ दीजिए, सिर्फ गहमर के ही करीब 15 हजार जवान सेना के विभिन्न पदों पर तैनात रहते हुए देश की रक्षा के लिए तैनात है।
17 सितंबर 1965 को भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में जिले के वीर जवान अब्दुल हमीद ने एंटी टैंक बंदूक से छणभर में पाकिस्तान के तीन पैर्टन टैंकों ध्वस्त हुए भारत माता की गोंद में से गए थे। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र सम्मान से नवाजा था। धरती मां के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले इस वीर सपूत का नाम आज भी पूरा देश आदर के साथ लेता है। कागरिल युद्ध में भी जिले के जवानों ने अपनी वीरता का परिचय दिया था। इस युद्ध में बद्धोपुर के भैरोपुर गांव निवासी सीएफएम के जवान कमलेश सिंह, बाघी गांव निवासी नायक शेषनाथ सिंह यादव, धनईपुर निवासी सिपाही संजय कुमार यादव, पखनपुरा निवासी मो. इश्तियाक खान, मुहम्मदाबाद क्षेत्र के पड़ैनिया निवासी लांश नायक रामदुलार यादव, भांवरकोल के पंडितपुरा निवासी जीडीआर जयप्रकाश और लहना निवासी गनर अश्विमी कुमार शहीद हो गए थे।
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इनसेट...
गाजीपुर। पीजी कालेज मैदान पर 20 अप्रैल से सेना रैली भर्ती की प्रक्रिया आरंभ होगी। पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरे की देखरेख में की जाएगी। इसके मद्देनजर मंगलवार को सेना के कर्नल मनीष धवन ने ग्राउंड का निरीक्षण कर भर्ती की तैयारी के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए। कहा, अभ्यर्थियों को निवास प्रमाणपत्र के साथ इस बार आधार कार्ड भी अनिवार्य रूप से लाना होगा।
जिले में अभी से सेना भर्ती की बयार बहने लगी है। सेना में भर्ती होने तथा देश की रक्षा का जज्बा लिए युवा इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं। भर्ती के लिए होने वाले दौड़ में अब उन्हें हरी झंडी मिलने का इंतजार भर है। इस उम्मीद से सड़क की पटरियों के साथ ही खेल मैदान में दौड़ लगा रहे हैं। बीस अप्रैल से पीजी कालेज मैदान में शुरु होने वाली सेना भर्ती को लेकर भाग लेने वाले युवाओं में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। युवा इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के युवा एक तरफ जहां सूर्यअस्त के बाद देर रात तक सड़क की पटरियों और मैदान में दौड़ का अभ्यास कर रहे हैं, वहीं भोर में भी युवाओं के कदमों की आवाज हर क्षेत्र में सुनाई दे रही है।
गहमर संवाददाता के अनुसार, स्थानीय गांव के युवाओं का फिजिकल अच्छा है और हमें देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होना अच्छा लगता है। सेना में ऐसे ही लंबे-चौड़े कद-काठी के युवाओं की जरूरत होती है, जो यहां के युवकों में है। यहां के युवा 1600 मीटर दौड़ की तैयारी करके जाते हैं। यह बातें गहमर के बुलाकी दास मठिया के ग्रांउड में सुबह-शाम सेना भर्ती के तैयारी में लगे युवा बताते हैं। उनका कहना है कि यहां के युवक रोज पांच से आठ किलोमीटर दौड़ की प्रेक्टिस करते हैं, लेकिन गाजीपुर में होने वाली सेना भर्ती के लिए केवल 1600 मीटर की तैयारी ही कर रहे हैं, जिससे यह मालूम रहे कि कैसे दौड़ की बाधा पार करनी है। रोज आठ से दस किलोमीटर दौड़ की तैयारी करने का तरीका गलत है। 1600 मीटर की ही तैयारी करनी चाहिए, जो रोज आठ किलोमीटर भाग रहा है वह दो किलोमीटर से पहले तो जोर ही नहीं लगाएगा और तब तक तो दौड़ पूरी हो जाएगी। 1600 मीटर की तैयारी करेंगे तो यह पता रहेगा कि कौन से चक्कर में पूरा दम लगाना है? शुरुआत के दो चक्कर आराम से पूरे करें। इनमें ज्यादा जोर लगाएंगे तो आखिर में बाहर हो जाएंगे। आखिरी चक्कर में पूरा दमखम लगाएं। कभी भी पूरे पैर पर नहीं भागे। पंजों के बल भागने से अपने आप ऊर्जा मिलती है और सफल होते हैं।
पूरी ईमानदारी से होगी रैली भर्ती : कर्नल
गाजीपुर। सेना के कर्नल मनीष धवन मंगलवार को पीजी कालेज ग्राउंड पर पहुंचे और सेना के जवानों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। कहा कि सेना की रैली भर्ती बिल्कुल पारदर्शी और ईमानदारी से होगी। युवा खुद पर भरोसा रखें, किसी भी दलाल के चक्कर में पड़े। पूरी भर्ती प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरे की देखरेख में होगी। जिससे किसी तरह की गड़बड़ी न हो सके। ग्राउंड में अभ्यास कर रहे युवाओं से मनीष धवन ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पूरी ईमानदारी बरती जाएगी। किसी को बाहरी व्यक्ति के झांसे में आने की जरूरत नहीं है। सेना के जवान अपराह्न करीब चार बज पीजी कालेज ग्राउंड में पहुंचकर भर्ती प्रक्रिया की तैयारी में जुट गए हैं।
(फोटो नंबर)
छुट्टी में आए सेना के जवान कराते हैं भर्ती की तैयारी
15 हजार सेवानिवृत्त, तो इतने फौज में हैं तैनानी
सेना भर्ती में बड़ी संख्या में भाग लेते हैं गहमर के युवा
अमर उजाला ब्यूरो
गहमर। एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर की पहचान सैनिक गांव के रूप में होती है। यहां के युवाओं का रुझान देश सेवा की तरफ होता है। यही कारण है कि एक तरफ जहां इस गांव में लगभग 15 हजार सैनिक सेवानिवृत्त होकर विभिन्न बैंकों से पेंशन ले रहे हैं, वहीं लगभग इतने ही जवान भारतीय थल सेना में देश के विभिन्न भागों में अपनी सेवा दे रहे हैं। गांव में छुट्टी पर आए सेना के जवान गांव के जवानों के सेना भर्ती की तैयारी कराते हैं।
सेवानिवृत्त फौजी ध्रुव कुमार सिंह ने बताया कि छुट्टी में आने वाले सेना के जवान युवाओं को भर्ती की तैयारी करने के दौरान उन्हें बताते हैं कि भर्ती में दौड़ सबसे पहली बाधा है। फिजिकल में केवल बीम में ही बच्चे बाहर होते हैं। बीम केवल प्रेक्टिस से ही पूरी की जा सकती हैं। प्रेक्टिस के दौरान यह ध्यान रखें कि बीम बिल्कुल सीधे हाथ से निकाले और ठुड्डी को पाइप से टच करें। कई बच्चे बीच में कोहनी मोड़कर प्रेक्टिस करते हैं, जो बाहर हो जाते हैं। बीम के अलावा कोई भी फिजिकल ज्यादा मुश्किल नहीं है। सीने की वजह से काफी युवा बाहर होते है, यह समस्या ज्यादा युवाओं के साथ है। जिनका सीना कम है, वे रोज दौड़ पूरी करने के बाद पुशअप जरूर निकाले। पुशअप ही सीना बढ़ाने का एकमात्र तरीका है। पुशअप के बाद हैवी खाना लें और रेस्ट करें। सीना बढ़ जाएगा। मेडिकल में काफी युवा बाहर होते हैं। हड्डियों में टेढ़ेपन की समस्या है। इसके अलावा फ्लोराइड भी यहां की एक बड़ी समस्या है, जिससे दांत एवं हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, लेेेकिन हम लोग डाक्टर से सलाह लेकर इसकी भी तैयारी करते है। गहमर के बच्चों का फिजिकल अच्छा है और सेेेना को ऐसे ही युवा चाहिए, जो लंबे-चौड़े कद-काठी के हों। इसीलिए यहां के युवाओ को भर्ती मेें मजा आता है। यहां के युवाओं में सेना में जाने का जबरदस्त जोश और जुनून है।
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शहीदी धरती के रूप में है जिले की पहचान
अमर उजाला ब्यूरो
गाजीपुर। लहुरी काशी कहे जाने वाले गाजीपुर जिले के पहचान शहीदी धरती के रूप में भी होती रही है। भारत-पाक, भारत-चीन युद्ध रहा हो या फिर कारगिल की लड़ाई। यहां से वीर सपूत अपने प्राणों की आहुति देकर भारत माता की रक्षा करते हुए जिले का नाम रोशन करते रहे है। जिले के अन्य क्षेत्रों की छोड़ दीजिए, सिर्फ गहमर के ही करीब 15 हजार जवान सेना के विभिन्न पदों पर तैनात रहते हुए देश की रक्षा के लिए तैनात है।
17 सितंबर 1965 को भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में जिले के वीर जवान अब्दुल हमीद ने एंटी टैंक बंदूक से छणभर में पाकिस्तान के तीन पैर्टन टैंकों ध्वस्त हुए भारत माता की गोंद में से गए थे। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र सम्मान से नवाजा था। धरती मां के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले इस वीर सपूत का नाम आज भी पूरा देश आदर के साथ लेता है। कागरिल युद्ध में भी जिले के जवानों ने अपनी वीरता का परिचय दिया था। इस युद्ध में बद्धोपुर के भैरोपुर गांव निवासी सीएफएम के जवान कमलेश सिंह, बाघी गांव निवासी नायक शेषनाथ सिंह यादव, धनईपुर निवासी सिपाही संजय कुमार यादव, पखनपुरा निवासी मो. इश्तियाक खान, मुहम्मदाबाद क्षेत्र के पड़ैनिया निवासी लांश नायक रामदुलार यादव, भांवरकोल के पंडितपुरा निवासी जीडीआर जयप्रकाश और लहना निवासी गनर अश्विमी कुमार शहीद हो गए थे।
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