गाजियाबाद। यूपी सरकार को गाजियाबाद में विकास की जरूरत तो लगी पर विकास के लिए धेला भी नहीं दिया। जिले को पीपीपी मॉडल के अंतर्गत महज थर्स्ट एरिया में शामिल करके दरकिनार कर दिया गया। मेरठ मंडल को सरकार ने ठेंगा दिखा दिया। सरकारी खजाने में करोड़ों रुपये टैक्स देने वाले गाजियाबाद को कुछ नहीं मिला।
बजट पर नजर डालने से साफ हो जाता है कि मेरठ मंडल के साथ नाइंसाफी हुई है। आगरा से लखनऊ के लिए आठ लेन का एक्सप्रेस वे है जबकि गाजियाबाद को सिर्फ विकास की संभावनाओं के क्षेत्र के रूप में चिंहित कर छोड़ दिया गया।
गाजियाबाद और पंचशीलनगर ट्रैफिक जाम की समस्या झेल रहे हैं। ट्रैफिक को व्यवस्थित रखने के लिए सरकार ने चौराहों पर सीसीटीवी लगाने का बजट दिया भी लखनऊ, कानपुर और वाराणसी को। आगरा पेयजल पूर्ति योजना को 290 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
गाजियाबाद में गंगाजल का इंतजार कर ही लाखों जनता की प्यास सरकार ने महसूस नहीं की। क्रिकेट के धुरंधर सुरेश रैना और प्रवीण कुमार जैसे खिलाड़ी देने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश को स्टेडियम नहीं मिल सका। यहां तक कि गाजियाबाद से सहारनपुर तक सरकारी अस्पताल खोलने तक कोई योजना नहीं रही। लोग गंभीर बीमारियों से लड़ रहे हैं।