लंबे शोध के बाद वैज्ञानिकों ने बनाया चमत्कारी बॉयो प्रोडक्ट
देसी नुस्खों के खास घोल से लहलहाएंगी फसलें
तीन साल तक चले प्रयोग में सामने आए हैं शानदार परिणाम
गाजियाबाद। जानलेवा पेस्टीसाइड्स से सेहत के खतरे अब दूर होंगे। भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों को कीड़ों से सुरक्षित रखने के लिए ऐसा देसी फार्मूला तैयार किया है जो पेस्टीसाइड्स की निर्भरता कम करेगा। लंबे शोध से पता लगा है कि लहसुन, मिर्ची, अदरक , नीम और शीशम से तैयार बॉयो प्रोडक्ट फसलों को सुरक्षित रखने के काम आएगा।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वालीं देहरादून की सामाजिक कार्यकर्ता वंदना शिवा ने ‘पेस्टीसाइड फ्री फूड’ को लेकर एक दशक पहले काम शुरू किया था। तीन साल पहले उनकी संस्था ने बायोडायनामिक प्रोडक्ट तैयार किए और जांच को कृषि शोध संस्थान में भेजे। इससे कृषि वैज्ञानिकों की आंखों में चमक आ गई। सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी शोध संस्थान मोदीपुरम, मेरठ के पादप रोग विभागाध्यक्ष डा. रामजीत सिंह, पूसा संस्थान दिल्ली के गेस्ट वैज्ञानिक डा. विवेक राज सिंह ने उन बायोडायनामिक प्रोडक्ट पर और आगे का शोध किया। इसके और भी अच्छे परिणाम सामने आए।
छिड़काव पर प्रति हेक्टेयर खर्च होंगे 100 रुपये
संयुक्त कृषि निदेशक मेरठ मंडल डा. एमपी सिंह ने बताया पेस्टीसाइड्स के विकल्प के रूप में जो बायोप्रोडक्ट तैयार किया गया है, उसमें अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, बेहया, शीशम और नीम की पत्ती शामिल की गई हैं। इन सबको पीसकर पानी के जरिये ऐसा घोल तैयार किया गया है जो फसलों को कीड़ों से मुक्त करेगा। दलहन, तिलहन और फलों पर इसका एक बार छिड़काव एक महीने तक प्रभावी रहेगा। बड़ी बात ये है कि पेस्टीसाइड्स के मुकाबले यह फार्मूला दस गुना तक सस्ता साबित होगा। यानी एक हैक्टेयर फसल में छिड़काव का खर्च महज 100 रुपये। हालांकि, फलों के बागान के लिए घोल में सिरका और मिलाना पड़ेगा। डा. तौमर ने बताया कि कृषि विभाग अब तेजी से इसके प्रचार-प्रसार में जुटेगा, ताकि किसान पेस्टीसाइड्स से नाता तोड़कर इस देसी नुस्खे के लाभ उठा सकें।