महानगर में आईएएस प्रदीप की ससुराल, यहां के जिलाधिकारी भी रहे हैं
जेल के रिकार्ड में आईएएस से अब तक मिलाई वालों की संख्या जीरो
एनआरएचएम घोटाले के दस्तावेज पढ़ समय गुजार रहे प्रदीप शुक्ला
गाजियाबाद। जिसके कदमों में था जमाना, वो हुआ सबके लिए बेगाना। एनआरएचएम घोटाले में अभियुक्त आईएएस प्रदीप शुक्ला के दिन जेल में कुछ ज्यादा ही खराब बीत रहे हैं। एक तो उनकी रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर है, दूसरा कोई उनकी खैर-खबर लेने भी नहीं आ रहा। सलाखों के पीछे प्रदीप को चार दिन हो चुके हैं मगर किसी दोस्त, परिचित या रिश्तेदार ने उनकी सुध नहीं ली है।
यूपी के सीनियर मोस्ट आईएएस अफसरों में शुमार प्रदीप का अब तक रुतबा कैसा था, यह बात किसी से छिपी नहीं है। दिग्गज अधिकारियों की भीड़ में सिर्फ वो बोलते थे और बाकी सब सुनते थे। उनसे मुलाकात के लिए एप्वाइंटमेंट लेने को लाइन लगती थी। तब न उनके पास दोस्तों की कमी थी और न सुदूर होकर भी रिश्तेदार बताने वालों की। वही प्रदीप करोड़ों के एनआरएचएम घोटाले में फंसकर जेल पहुंचे तो सब बदल गया है।
जेल अफसरों के मुताबिक, बृहस्पतिवार को डासना जेल पहुंचते ही आईएएस शुक्ला ने सबसे पहले मिलाई का तरीका जाना था। शायद यह सोचकर कि जेल में उनसे मिलने वालों की भीड़ उमड़ेगी। मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। वह भी तब, जब इसी शहर में उनकी ससुराल है। वो यहां के डीएम भी रह चुके हैं। परिचित, दोस्त, रिश्तेदार कितने होंगे, इसका तो अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। इसके बाद भी आईएएस से जेल में मिलाई करने वालों की संख्या ‘जीरो’ क्यों है, यह बात जेल अफसरों की भी समझ में नहीं आ रही।
जेल अधीक्षक डा. वीरेश राज शर्मा ने बताया कि गत शुक्रवार को प्रदीप शुक्ला के वकील मिलने आने थे मगर वह भी नहीं आए। अभी तक प्रदीप के खाते में मिलाई करने वालों की संख्या शून्य ही है। जेल की बैरक नंबर 16 में निरुद्ध बंदी 1928 नंबर यानी यूपी के पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव प्रदीप शुक्ला मायूस तो होंगे ही! वह शांत होकर एनआरएचएम मामले के दस्तावेज पढ़ते देखे जा रहे हैं।