1981 का आईएएस टॉपर : बंदी नंबर-1928
जेल पहुंचते ही प्रदीप शुक्ला को चढ़ा बुखार
सलाखों की दहशत में पीला हुअा चेहरा
कारागार का कंबल-दरी देख नाक-भौं सिकोड़ी
बहुत मांगने पर अफसरों ने नसीब कराई चादर
गाजियाबाद। कभी प्रदीप शुक्ला के नाम से जेलों की दीवारें थर्राती थीं, उसे आज जेल में पहुंचते ही बुखार चढ़ गया। 1981 बैच टॉपर और यूपी में कितनी ही बार डीएम, कमिश्नर, सचिव रह चुके प्रदीप शुक्ला का नया पता भी नोट कर लें। चर्चित अफसर डासना जेल की बैरक नंबर-16 ए का मेहमान है। और उसका बंदी नंबर है-1928। दोपहर में पुलिस जब प्रदीप को डासना जेल लेकर रवाना हुई तो मारे डर के चेहरा पीला पड़ गया।
बृहस्पतिवार दोपहर 01.59 बजे जब पुलिस प्रदीप शुक्ला को कोर्ट से डासना जेल लेकर रवाना हुई थी। बड़े-बड़े अफसरों की घिग्गी बांध देने वाला आईएएस खुद बहुत डरा-सहमा नजर आ रहा था। जेल जाने से पहले वह कोर्ट की दीवार से पीठ सटाकर आसमान ताकते रहे। जेल पहुंचे तो चेहरे की हवाइयां उड़ गईं।
जेल अफसरों के मुताबिक, जेल के अंदर रुटीन हेल्थ चेकअप में प्रदीप शुक्ला को हल्का बुखार पाया गया। जेल में उन्हें तुरंत ही दवा दी गई। उन्हें बैरक नंबर-16 ए में पहुंचा दिया, जहां आमतौर पर दहेज उत्पीड़न के अपराधों में लिप्त रखे गए हैं। बैरक में पहुंचते ही नए बंदी को एक थाली, एक मग, एक दरी, एक कंबल दिया गया।
जेल सूत्रों के मुताबिक, प्रदीप को जेल की मोटी-खुरदरी दरी और चुभने वाला कंबल पसंद नहीं आया। उन्होंने अपने लिए एक चादर मांगी। कई बार कहने पर जेल अफसरों ने उनके पास चादर तो भिजवा दी मगर उनकी दिन-रात निगरानी को दो-दो पहरेदारों का इंतजाम भी कर दिया। शाम को जेल में उन्हें प्रथम डाइट के रूप में उड़द-चने की दाल, मिक्स सब्जी, रोटी, चावल दिए गए मगर बेचैन प्रदीप तुरंत खाना नहीं खा सके। उन्होंने थाली में जरूर रखवा लिया, बाद में खाने के लिए।