जिला प्रशासन भी नहीं कर पा रहा बिल्डर पर हाथ डालने की हिम्मत
80 करोड़ का महत्वाकांक्षी डीपीएच सब स्टेशन बनकर भी बेकार
पावर कारपोरेशन बार-बार लिखता रहा पत्र, जिला प्रशासन नहीं चेता
गाजियाबाद। महानगर में 20 घंटे होने वाली बिजली आपूर्ति में एक बिल्डर ने अड़ंगा डाल रखा है। यह बिल्डर प्रदेश के पूर्व मंत्री का भाई है। जिला प्रशासन भी इस पर हाथ डालने से कतरा रहा है। एक बिल्डर की करतूत का फल बीस लाख लाख की शहरी आबादी भुगत रही है।
क्या है मामला
मालीवाडा में बिजली निगम ने 132केवीए का डीपीएच सब स्टेशन दो महीने पहले तैयार किया था। डीपीएच से जोड़ने के लिए मुरादनगर से मोनोपोल लगाए जा रहे थे। राजनगर एक्सटेंशन में संस्कार वर्ल्ड स्कूल के पास आकर मामला अटक गया है। यहां लगने वाले तीन मोनोपोल बिल्डर लगने नहीं दे रहा है। निगम ने एक पोल लगाया भी था, जिसे उखाड़कर फेंक दिया गया।
क्या होगा फायदा
अगर पावर कारपोरेशन और जिला प्रशासन इस मसले को सुलझा लेते हैं तो शहर को बीस घंटे बिजली आपूर्ति का रास्ता साफ हो जाएगा। अधीक्षण अभियंता (डिस्ट्रीब्यूशन) अरुण कुमार ने बताया कि डीपीएच बनने से 80 एमवीए की क्षमता बढ़ेगी और 20 घंटे विद्युत आपूर्ति संभव होगी। पुराने गाजियाबाद, कविनगर, राजनगर, पटेल नगर, नेहरूनगर, राकेश मार्ग, कमला नेहरु नगर, मालीवाड़ा, नवयुग मार्केट, दिल्ली गेट, डासना गेट आदि कालोनियों का बिजली संकट बिना डीपीएच के दूर नहीं हो सकता है।
मीटिंग होती रहीं हल नहीं निकला
पावर कारपोरेशन और जिला प्रशासन के अफसर इस बीच बहुत बार मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं मगर कोई हल नहीं निकला। एचटी लाइन को लाने के लिए 67 मोनोपोल में तीन मोनोपोल नहीं लग पा रहे। इनके कारण सारा यह बखेड़ा है।
जिलाधिकारी से बुधवार को मुलाकात हुई है। विवाद के समाधान के लिए एडीएम प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं। डीपीएच को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए प्रयास जारी हैं।
वीके जैन, अधीक्षण अभियंता (ट्रांसमिशन)
मामले की जांच रिपोर्ट जिलाधिकरी को सौंप दी गई है। जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर को तय स्थान पर ही मोनोपोल लगवाने के आदेश दे दिये हैं। जल्द ही मसला सुलझ जाएगा।
आरके शर्मा, एडीएम (प्रशासन)