ट्रेन लंबी है, मगर सफर आसान नहीं/एक टिकट का फासला है, जानिबे मंजिल को यारों।
गाजियाबाद(ब्यूरो)। कुछ ऐसा ही दर्द और टिकट पाने की बेचैनी हर चेहरे पर दिख रही थी। रेलवे स्टेशन पर आरक्षण केंद्र के सामने लंबी लाइन में खड़ा हर शख्स परेशान सा दिख रहा था। गर्मी की छुट्टी में शहर से बाहर घूमने जाने या फिर अपने गांव जाने के लिए तत्काल टिकट लेने के लिए इतनी मारामारी है कि लोग रात को ही आरक्षण केंद्र पर लाइन लगाने पहुंच जाते हैं। गेट बंद होता है। ऐसे में खुले आसमान के नीचे खड़े होने या बैठने के सिवा लोगों के पास कोई दूसरा चारा नहीं होता। सुबह सात बजते-बजते लाइन इतनी लंबी हो जाती है कि हर आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर टिकट किसे मिलेगा। वहीं, दलालों का नेटवर्क भी इस बीच सक्रिय हो जाता है। रेलवे पुलिस के सारे इंतजाम भी धरे रह जाते हैं। पेश है टिकट की मारामारी पर अमर उजाला की लाइव रिपोर्ट।
आरक्षण केंद्र के बाहर वैसे तो लोग रात से ही लाइन में लगने लगे थे, लेकिन सुबह छह बजते-बजते गेट के बाहर लंबी लाइन लग गई। सबसे आगे खड़े पार्थ ने बताया कि उन्हें जम्मू जाना है। तत्काल टिकट में सीट कंफर्म मिले, इसके लिए वह रात 11 बजे ही आरक्षण केंद्र पहुंच गए और सबसे आगे लाइन लगा ली। उन्होंने बताया कि उनके बाद एक-एककर ्रलोग बढ़ते गए और सुबह तक कतार काफी लंबी हो गई।
सुबह सवा 7 बजे जब आरक्षण केंद्र का गेट खुला तो मारामारी मच गई। पुलिस वाले भी एक किनारे हट गए। लोग दौड़ने लगे ताकि काउंटर पर सबसे आगे वो ही खड़े हो सकें। कुछ लोग जो पीछे थे दौड़कर आगे खड़े हो गए, जबकि कुछ लोग जो आगे थे, उन्हें कुछ पीछे लाइन में लगना पड़ा। बिहार निवासी जसीम ने बताया कि वह घर जाने के लिए देर रात से ही लाइन में लगे थे, लेकिन उन्हें काफी पीछे जगह मिली।
टिकट विंडोे खुलते ही शोर होने लगा। आगे वाले से पीछे खड़ा व्यक्ति ज्यादा जल्दी में था। महिलाओं और बुजुर्गों के सहारे लोगों ने टिकट का जुगाड़ भिड़ाना शुरू कर दिया। इस बीच दलाल भी सक्रिय हो गए। जो लोग दलालों को पहचानते थे, उन्हें आसानी से टिकट मिल गया। पुनीत ने बोले कि वह रात 1 बजे से लाइन लगे थे। अब उन्हें इस बात का डर है कि कहीं काउंटर पर पहुंचने पर तत्काल वेटिंग में न हो जाए।