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परिवार दिवस पर खास ः अग्रवाल- शर्मा फैमिली हैं मिसाल-बेमिसाल
तीन पीढ़ी से एक ही घर में एक साथ रह रहे
वैशाली। यहां बड़ों का अपार आशीर्वाद है, तो छोटों का बेहिसाब स्नेह, सास-बहू का रिश्ता मां-बेटी समान है और घर के सभी बच्चों में सगे भाई-बहनों सा प्यार है...। फ्लैट कल्चर के चलन में दम तोड़ चुके रिश्तों के लिए अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर ब्रिज विहार का अग्रवाल और वसुंधरा का शर्मा परिवार मिसाल है। ब्रिज विहार ए ब्लॉक और वसुंधरा सेक्टर-15 में एक ही छत के नीचे तीन पीढ़ियों संग जीवन गुजार रहे हैं। सदस्यों का एक ही फलसफा है जिंदगी में खुशी हो या गम, हमेशा साथ रहेंगे हम। बुजुर्ग जयनारायण अग्रवाल बताते हैं कि संयुक्त परिवार में जहां सभी लोग खुशियां बांटते हैं वहीं गम में एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। दर्शना अग्रवाल का कहना है कि किसी भी मुसीबत में अपनों के लिए खड़े रहते हैं। घर में 13 सदस्यों के बीच आज तक नोकझोंक तक नहीं हुई है। यही देखकर लगता है कि हमारी परवरिश सफल रही है। घर के बड़े बेटे विनोद अग्रवाल बताते हैं कि बच्चे चाचा-ताऊ से भी उसी हक से बात करते हैं जितना मम्मी-पापा से। छोटे भाई अशोक अग्रवाल और राजेश अग्रवाल बताते हैं कि लाड़-प्यार, संस्कार-अपनापन, आपसी समझ और तालमेल ये सब गुण एक संयुक्त परिवार में ही मिल सकते हैं। इसके अलावा परिवार में निहारिका, विशाल, आकाश, शुभम और सिद्धार्थ भी हैं।
बच्चों को मिलती है बेहतर परवरिश
मनोचिकित्सक डा. राकेश चंद्रा बताते हैं कि भले ही आज एकल परिवार लोगों को बेहतर बड़ी जिम्मेदारियों से बचने का विकल्प लगता हो लेकिन बच्चों का मानसिक और सामाजिक विकास संयुक्त परिवार में ही बेहतर होता है। ज्यादा सदस्यों के बीच बच्चों को बेहतर परवरिश, अच्छा पैरेंटल कंट्रोल और दादी-दादी की खास सुरक्षा मिलती है।
खुशी दोगुनी और गम आधा
समाजशास्त्री डा. जेएल रैना बताते हैं कि काम के सिलसिले में ज्यादातर बच्चे परिवार से अलग रहते हैं। ऐसे में एकांकी जिंदगी में मिली स्वतंत्रता और मनमानी के बाद वो एक बड़े परिवार में बंधना नहीं चाहते। समाज की बदलती परिस्थितियां, आधुनिकता के नाम पर आते बदलावों से एकल परिवारों का चलन बढ़ा है।
वसुंधरा सेक्टर-15 ड्यूप्लेक्स के एसएन शर्मा और विजयलक्ष्मी शर्मा अपने दो बेटों-बहुओं और पोते-पोतियों के साथ तीन पीढ़ियों के साथ रहते हैं। एसएन शर्मा बताते हैं कि दोनों में से एक बहू शिक्षिका हैं तो एक बेटा ज्यादातर काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं। लेकिन ये संयुक्त परिवार की यहां खूबी है कि छोटे बच्चों का पालन-पोषण हो या सुरक्षा और सहूलियत की दरकार सभी कुछ आसानी से संभव हो पाता है। वहीं विजयलक्ष्मी शर्मा बताती हैं कि लोग सुख-दु:ख में साथ हैं तो कहीं अड़चन आने पर बुजुर्गों से सलाह मशविरा कर उनके अनुभव का फायदा उठाते हैं।
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