गाजियाबाद। लोहियानगर की जमीन में घुले ‘जहर’ को बाहर निकालने के लिए स्थापित जल शुद्धिकरण परियोजना सरकारी उदासीनता की शिकार हो गई। अफसरों की लापरवाही से रोजाना छह लाख लीटर ट्रीटेड वाटर बर्बाद हो रहा है। इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई में किया जाना था लेकिन सिर्फ एक छोटे से पार्क में बहाया जा रहा है। सरकारी महकमों ने निर्माण एजेंसी को पार्क और ग्रीन बेल्ट तक पाइप लाइन बिछाने की इजाजत नहीं दी है।
लोहियानगर के विनोबा भावे पार्क में भू जल शुद्धिकरण परियोजना से ग्राउंड वाटर में घुले क्रोम को अलग किया जा रहा है। पानी में घुले क्रोम को बाहर निकाल कर सुखा लिया जाता है। परियोजना रोजाना छह लाख लीटर पानी को शुद्ध कर रही है। परियोजना जिस पार्क में लगी है वहीं पानी बहा दिया जाता है। जो नाले में जा रहा है। निर्माण एजेंसी श्रीराम पिस्टन ने ट्रीटेड पानी का उपयोग लोहियानगर के भगत सिंह पार्क, अपर श्रम आयुक्त कार्यालय पार्क, नगर निगम पार्क और लोहियानगर की ग्रीन बेल्ट की सिंचाई करने का प्रस्ताव दिया था। कंपनी ने एक महीने पहले नगर निगम से पार्क और ग्रीन बेल्ट तक परियोजना से पाइप लाइन डालने की अनुमति मांगी थी। डीएम ने भी नगर निगम अफसरों को जांच कर एनओसी जारी करने के आदेश दिए थे। बावजूद इसके पाइप लाइन बिछाने की अभी तक इजाजत नहीं मिली है।